नई दिल्ली : शराब घोटाले को लेकर घिरी आम आदमी पार्टी (आप) सरकार की मुश्किलें कथित ‘जासूसी कांड’ को लेकर भी बढ़ सकती हैं। फीडबैक यूनिट (एफबीयू) की ओर से नेताओं की जासूसी कराए जाने आरोपों पर कांग्रेस पार्टी एनआईए से जांच चाहती है। कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित, पूर्व मंत्री मंगत राम और किरण वालिया ने एलजी वीके सक्सेना से यूएपीए के तहत एनआईए से जांच की मांग की है। एलजी ने इसे मुख्य सचिव को भेजते हुए जरूरी ऐक्शन लेने को कहा है।
दिल्ली स्थित एलजी कार्यालय की तरफ से मंगलवार को जानकारी दी गई है कि कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित और पूर्व मंत्री मंगत राम सिंघल, प्रोफेसर किरण वालिया के द्वारा जासूसी कांड की जांच यूएपीए के तहत एनआईए से करवाने की मांग की गई थी। इसपर उपराज्यपाल सचिवालय ने मुख्य सचिव, जीएनसीटीडी को कहा है कि फेसबुक यूनिट द्वारा जासूसी के आरोपों को लेकर जरूरी कार्रवाई करें।
दिल्ली के कथित जासूसी कांड में सीबीआई जांच की मंजूरी पहले दी जा चुकी है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कुछ समय पहले भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए गठित फिडबैक यूनिट (एफबीयू) के जरिए कथित तौर पर नेताओं की जासूसी के मामले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई को केस दर्ज करने की मंजूरी दी थी।
CBI ने क्या कहा था…
सीबीआई ने कहा था कि उसने अपनी शुरुआती जांच में यह पाया है कि एफबीयू ने कथित तौर पर राजनीतिक खुफिया जानकारियां जुटाई हैं। बता दें कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) के अधिकार क्षेत्र में आने वाले विभिन्न विभागों व स्वायत्त निकायों, संस्थानों और संस्थाओं के ाकमकाज के बारे में कार्रवाई योग्य जानकारी जुटाने के लिए साल 2015 में एफबीयू का गठन किया था। अब एफबीयू पर कथित तौर से जासूसी के आरोप लग रहे हैं। यह भी आरोप है कि एफबीयू में नियुक्तियों के लिए उपराज्यपाल से मंजूरी नहीं ली गई थी।
संदीप दीक्षित ने LG को लिखा था खत
कुछ समय पहले कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने एलजी विनय सक्सेना को खत लिखकर आग्रह किया था कि एफबीयू स्नूपिंग मामले में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और अन्य सभी अधिकारियों के खिलाफ राजद्रोह अधिनियम के तहत मुकादमा चलाया जाए। संदीप दीक्षित ने यह भी दावा किया था कि केजरीवाल ने जासूसी के लिए फीडबैक यूनिट बनाई और फीडबैक यूनिट के लिए जो मशीनें खरीदी गई थीं वो दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं आती हैं। इस यूनिट पर आरोप लगते रहे हैं कि उसने गुपचुप तरीके से कई मंत्रालयों और राजनीतिक दलों की जासूसी की है। हालांकि, आम आदमी पार्टी इन आरोपों से इनकार करती रही है।