नई दिल्ली: आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी के लिए टीम इंडिया पूरी तरह तैयार है. वह अपने अभियान का आगाज 20 फरवरी को बांग्लादेश के खिलाफ मैच से करेगी. भारतीय तेज गेंदबाजी का दारोमदार मोहम्मद शमी पर होगा. जसप्रीत बुमराह चोट के कारण टीम से बाहर हैं. प्रशंसकों को उम्मीद है कि शमी इस टूर्नामेंट में भारत को बुमराह की कमी महसूस नहीं होने देंगे.
मोहम्मद शमी के दाहिने हाथ में जादूगर-सा फन है और अपनी कलाई के झटके से वह दुनिया के सबसे बेहतरीन बल्लेबाजों को चकमा दे सकते हैं… लेकिन क्या वह इस जादू से भारत को 12 साल बाद आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी जीतने में मदद कर सकते हैं ? भारत ने आखिरी बार 2013 में यह टूर्नामेंट जीता था.
लेकिन बड़े टूर्नामेंट का दबाव अलग होता है
34 वर्ष के शमी चोट से उबरने के बाद वापसी कर रहे हैं. उन्होंने विभिन्न स्तरों और अलग-अलग फॉर्मेट में कुछ मैच खेले हैं, लेकिन बड़े टूर्नामेंट का दबाव अलग होता है. ऐसे में बुमराह की गैरमौजूदगी में उन पर दबाव और बढ़ जाएगा.चैम्पियंस ट्रॉफी में शमी के साथी अर्शदीप सिंह होंगे, लेकिन वह बुमराह के स्तर के गेंदबाज नहीं हैं.
भारत के पूर्व तेज गेंदबाज लक्ष्मीपति बालाजी का मानना है कि शमी के पास काफी अनुभव है और वह इस चुनौती का सामना कर लेंगे. बालाजी ने कहा ,‘उन्होंने 2019 वनडे विश्व कप और पिछले विश्व कप (2023) में बुमराह से बेहतर गेंदबाजी की थी. बुमराह विभिन्न प्रारूपों में चैम्पियन गेंदबाज है, लेकिन शमी के पास अनुभव है और बुमराह के आने से पहले भारत के आक्रमण की जिम्मेदारी उन्हीं पर थी.’
शमी को नई गेंद से करना होगा कमाल…
उन्होंने कहा ,‘अगर भारत को अच्छा प्रदर्शन करना है तो शमी को नई गेंद से कमाल करना होगा. पहले 6 ओवरों में नई गेंद से प्रदर्शन भारत के लिए काफी मायने रखेगा. अगर वह शुरुआती कामयाबी दिला सका तो भारत का मनोबल काफी बढ़ेगा.’
शमी की जिम्मेदारी विकेट लेना ही नहीं, बल्कि अर्शदीप और हर्षित राणा जैसे गेंदबाजों का मागदर्शन करने की भी होगी. बालाजी ने कहा,‘शमी इस समय गेंदबाजों का अगुआ हैं. पिछले 12 साल में टेस्ट क्रिकेट में खास तौर पर उनका प्रदर्शन शानदार रहा है. अब दूसरे गेंदबाजों के मार्गदर्शक के तौर पर वह अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रहे हैं.’