नई दिल्ली: भारत और चीन के द्विपक्षीय संबंधों में सुधार लाने की दिशा में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि दोनों देशों को ‘ड्रैगन-हाथी टैंगो’ के जरिए अपने संबंधों को मजबूत करना चाहिए। यह टिप्पणी उन्होंने भारतीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भारत-चीन कूटनीतिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर संदेश भेजते हुए की।
2020 के लद्दाख संघर्ष के बाद भारत और चीन के रिश्ते सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए थे। हालांकि, हाल के महीनों में कूटनीतिक वार्ताओं के जरिए संबंधों को सुधारने के प्रयास किए जा रहे हैं। मार्च 2025 में बीजिंग में सीमा विवाद और सहयोग बढ़ाने को लेकर उच्च स्तरीय बैठकें हुईं, जिनमें सीमा प्रबंधन, व्यापार, कूटनीतिक वार्ता और धार्मिक यात्राओं को लेकर चर्चा हुई।
जिनपिंग का संदेश और चीन की रणनीति
शांति और सहयोग पर जोर: शी जिनपिंग ने कहा कि भारत और चीन को सह-अस्तित्व के तरीके खोजने होंगे और सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए संयुक्त प्रयास करने होंगे।
आर्थिक और कूटनीतिक संबंधों को बढ़ावा: चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने कहा कि दोनों देश वैश्विक दक्षिण के महत्वपूर्ण सदस्य हैं और आर्थिक आधुनिकीकरण के अहम दौर से गुजर रहे हैं।
सीमा विवाद और संवाद: भारत और चीन के विशेष प्रतिनिधियों (SR) की हालिया बैठक में लद्दाख गतिरोध सुलझाने और सीमाई इलाकों में विश्वास बहाली पर चर्चा हुई।
क्या है ड्रैगन-हाथी टैंगो का मतलब?
ड्रैगन का मतलब है- चाइना, हाथी- इंडिया और टैंगो का अर्थ बॉल डांस। अर्थात ड्रैगन-एलिफेंट एक पॉपुलर चीनी डांस है, जिसे कि चाइनिज दोस्ती के टर्म में यूज करते हैं। जिनपिंग का ये बयान इंडिया कि तरफ दोस्ती के लिए है।
क्या हैं भविष्य की योजनाएं?
सीमा विवाद हल करने पर जोर: भारत और चीन ने डब्ल्यूएमसीसी (WMCC) बैठक में सीमा प्रबंधन सुधारने और सीमा पार सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई। कैलाश मानसरोवर यात्रा और सीधी उड़ानें: दोनों देशों के बीच धार्मिक यात्राओं और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सीधी उड़ानें फिर से शुरू करने पर विचार हो रहा है।
राजनीतिक संवाद जारी रहेगा: विदेश मंत्रालय के अनुसार, संबंधों को स्थिर बनाने और चरण-दर-चरण सुधारने के लिए नियमित वार्ताएं जारी रहेंगी।
भारत और चीन के रिश्ते पिछले कुछ वर्षों में तनावपूर्ण रहे हैं, लेकिन हाल की वार्ताओं और शी जिनपिंग की ‘ड्रैगन-हाथी टैंगो’ नीति से संबंधों को नया रूप देने की कोशिशें जारी हैं। हालांकि, सीमा विवाद और सामरिक प्रतिस्पर्धा के बीच यह देखना दिलचस्प होगा कि यह सहयोग व्यवहारिक रूप से कितना आगे बढ़ पाता है।