नई दिल्ली। भारतीय शिक्षा व्यवस्था में बड़ा बदलाव हो सकता है. सरकार, नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) द्वारा आयोजित की जाने वाली नीट परीक्षा को कंप्यूटर आधारित टेस्ट (CBT) मोड में कराने पर विचार कर रही है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह पेपर लीक और नकल जैसी चीजों को रोकने में कारगर साबित हो सकता है.
इस साल हुई नीट परीक्षा में धांधली, पेपर लीक, नकल और फर्जी परीक्षार्थी जैसे मामले सामने आए हैं. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की जांच में भी इन बातों के सबूत मिले हैं. इन मुद्दों की वजह से पूरे देश में 24 लाख छात्रों का भविष्य भी अधर में है. परीक्षा में नकल और पेपर लीक जैसी समस्याओं से निपटने के लिए नीट परीक्षा को सीबीटी मोड में कराने की चर्चा लंबे समय से चल रही है. अगर ऐसा होता है तो इसके फायदे और नुकसान दोनों हो सकते हैं.
साल 2017 से ऑफलाइन मोड में हो रहा NEET एग्जाम
नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET) भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है. यह उन छात्रों के लिए होती है जो अंडरग्रेजुएट मेडिकल (एमबीबीएस) और डेंटल (बीडीएस) कोर्स करना चाहते हैं. साल 2017 से अब तक ये परीक्षा ऑफलाइन (पेन और पेपर आधारित) मोड में ही हो रही है. यह परीक्षा 2017 से ऑफलाइन (पेन और पेपर आधारित) मोड में आयोजित की जा रही है, क्योंकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय इसे ऑनलाइन कराने के सुझाव से सहमत नहीं था.
ऑनलाइन NEET पर विचार-विमर्श क्यों?
हाल ही में हुई पेपर लीक की घटनाओं के मद्देनजर एनटीए ने कुछ स्थगित परीक्षाओं को ऑनलाइन मोड में कराने का फैसला किया है. जॉइंट सीएसआईआर-यूजीसी नेट परीक्षा 25-27 जुलाई को ऑनलाइन मोड में कराई जाएगी. इस परीक्षा को नीट विवाद के बाद स्थगित कर दिया गया था. वहीं यूजीसी-नेट की स्थगित परीक्षा अब 21 अगस्त से 8 सितंबर के बीच कराई जाएगी. ये दोनों ही परीक्षाएं पहले की तरह पेन और पेपर मोड के बजाय कंप्यूटर आधारित टेस्ट मोड में आयोजित की जाएंगी. इसके अलावा एनसीईटी परीक्षा भी 10 जुलाई 2024 को ऑनलाइन मोड में ही कराई जाएगी. इस वजह से नीट परीक्षा के ऑनलाइन सिस्टम पर भी विचार-विमर्श किया जा रहा है.
IIT JEE ऑनलाइन एग्जाम का बड़ा उदाहरण
सरकार पहले से ही आईआईटी और इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश के लिए जेईई मेन्स और जेईई एडवांस दोनों परीक्षाएं ऑनलाइन मोड में करा रही है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को ये आशंका थी कि ऑनलाइन मोड ग्रामीण और कम सुविधा वाले क्षेत्रों के छात्रों के लिए ठीक नहीं होगा. इसलिए 2019 में इस फैसले को टाल दिया गया था. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि अगर जेईई जैसी परीक्षाएं बड़ी संख्या में छात्र दे सकते हैं तो NEET को भी ऑनलाइन मोड में कराया जा सकता है.
जेईई परीक्षा दो भागों में होती है. जेईई मेन्स को एनटीए कराती है जबकि जेईई एडवांस को आईआईटी खुद कराते हैं. इस साल ये परीक्षा आईआईटी मद्रास द्वारा आयोजित की गई थी. जेईई मेन्स में 8.2 लाख छात्र बैठे थे जबकि जेईई एडवांस में 1.8 लाख छात्र शामिल हुए थे.
नीट परीक्षा को लेकर सीबीटी मोड पर मंथन
कोचिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के विशेषज्ञों ने भी सुझाव दिए हैं. CFI सदस्यों ने शनिवार को आयोजित एक वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “नीट परीक्षा पैटर्न को साल में एक बार से बदलकर, जेईई परीक्षाओं की तरह साल में दो बार किया जाना चाहिए. नीट परीक्षा को ऑनलाइन आधारित मोड या सीबीटी फॉर्मेट में बदलना, जिससे परीक्षा आयोजन प्रक्रिया में बहुत से लोगों की भागीदारी को कम करने में मदद मिलेगी. जैसे जेईई परीक्षाओं में, जिम्मेदार लोग या फैकल्टी भी हर साल बदलते हैं,” लेकिन इसके लिए ऑनलाइन बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर को बड़े पैमाने पर अपग्रेड करने की जरूरत होगी, जो एक बड़ी चुनौती होगी.
यहां हम सीबीटी मोड में नीट परीक्षा को ले जाने के सकारात्मक पहलुओं और चुनौतियों को सूचीबद्ध करते हैं:
सीबीटी के पॉजिटिव पॉइंट्स
बढ़ी हुई सुरक्षा
नीट यूजी परीक्षाओं को कंप्यूटर आधारित परीक्षा मोड में ले जाने से पेपर लीक और धोखाधड़ी की संभावना को काफी कम किया जा सकता है. डिजिटल प्रश्नपत्रों को एन्क्रिप्ट किया जा सकता है और केवल परीक्षा के समय ही उन्हें देखा जा सकता है, जिससे समग्र सुरक्षा बढ़ती है.
तत्काल परिणाम
कंप्यूटर आधारित परीक्षा उम्मीदवारों को तत्काल परिणाम जारी किए जा सकते हैं, जिससे लंबी परिणाम संकलन प्रक्रिया खत्म हो सकती है. यह मूल्यांकन प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करेगा और छात्रों को समय पर फीडबैक देगा.
अनुकूलित परीक्षण
कंप्यूटर आधारित परीक्षाएं छात्र के उत्तरों के आधार पर प्रश्नों के कठिनाई स्तर को अनुकूलित कर सकती हैं. इससे उम्मीदवार के ज्ञान और क्षमताओं का अधिक सटीक आकलन सुनिश्चित हो सकता है.
बुनियादी ढांचे की कमी
भारत में कंप्यूटर आधारित नीट यूजी परीक्षाओं को लागू करने में एक महत्वपूर्ण चुनौती है, देश के कई क्षेत्रों में व्यापक डिजिटल विभाजन और बेसिक जरूरतों की कमी. सभी उम्मीदवारों के लिए विश्वसनीय बिजली आपूर्ति, इंटरनेट कनेक्टिविटी और कंप्यूटर सिस्टम्स की उपलब्धता सुनिश्चित करना एक बाधा हो सकती है.
अंकों का सामान्यीकरण
ऑनलाइन मोड में किए जाने पर एग्जाम पेपर के कई संस्करण होंगे और इसलिए अंकों के सामान्यीकरण की आवश्यकता होगी. इसके अलावा, परीक्षा को कई दिनों में कई शिफ्ट में आयोजित कराना पड़ेगा, जिसके लिए कई सेटों की आवश्यकता होगी और इसलिए प्रत्येक प्रश्नपत्र के कठिनाई स्तर एक समान रूप से सुनिश्चित करने के लिए अंकों का सामान्यीकरण करना होगा.
ट्रेनिंग
कई छात्र, खासकर ग्रामीण पृष्ठभूमि के छात्रों को कंप्यूटर आधारित परीक्षाओं से पहले का अनुभव नहीं हो सकता है. उन्हें परीक्षा इंटरफ़ेस के माध्यम से प्रभावी ढंग से नेविगेट करने और मूल्यांकन में निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए ट्रेनिंग देना चुनौतीपूर्ण हो सकता है.
सुरक्षा संबंधी चिंताएं
कंप्यूटर आधारित परीक्षाएं सुरक्षा बढ़ा सकती हैं, लेकिन ये हैकिंग या प्रतिरूपण जैसी धोखाधड़ी तकनीकों के लिए नए रास्ते भी खोल सकती हैं. इस लिहाज में फुलप्रूफ सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण हो जाता है.
लागत
कंप्यूटर-आधारित टेस्ट के लिए बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना और उसका रखरखाव करना एक महंगा मामला हो सकता है. इससे संभावित रूप से परीक्षा आयोजित करने वाली संस्थाओं या उम्मीदवारों पर वित्तीय बोझ बढ़ सकता है.
बता दें कि NEET जैसी परीक्षाएं आयोजित करने में कई मंत्रालय और विभाग शामिल होते हैं, जैसे कि स्वास्थ्य मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय, NTA और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (NBE), इस मामले में आखिरी फैसला राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के पास होता है.