नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की विशेष पीठ बुधवार को 27 जुलाई, 2022 के अपने फैसले की समीक्षा की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने वाली थी, लेकिन इसे फिलहाल के लिए टाल दिया गया है. फैसले मेंधन शोधन निवारण अधिनियम 2002 की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा गया था. इसमें धन शोधन अपराधों में गिरफ्तारी, तलाशी, कुर्की और जब्ती के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की शक्तियों से निपटने वाले प्रावधान शामिल हैं.
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से बहस की तैयारी के लिए दो सप्ताह दिए जाने की मांग की. अब 28 अगस्त को मामले में सुनवाई होगी. ये सुनवाई जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस सीटी रविकुमार और उज्ज्वल भुइयां की बेंच करेगी. 2022 में PMLA एक्ट के प्रावधानों को चुनौती दी गई थी, लेकिन फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाओं को खारिज करते हुए PMLA एक्ट के प्रावधानों को बरकरार रखा था.
कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम की याचिका
वहीं, इस साल में मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई जुलाई तक के लिए टाल दी थी. दरअसल, कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम व अन्य ने पुनर्विचार याचिका दायर की है. उनकी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट नोटिस भी जारी कर चुकी है. कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका पर खुली अदालत में सुनवाई की मांग करने वाली याचिका को भी अनुमति दी थी.
ED की गिरफ्तारी वाली शक्ति को बताया गया बेलगाम
शीर्ष अदालत की जस्टिस एएम खानविलकर की अगुवाई वाली पीठ ने 27 जुलाई, 2022 को धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तमाम प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा था. जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने हालांकि कहा था कि 2019 में धन विधेयक के रूप में अधिनियम में संशोधन पारित करने की चुनौती पर एक बड़ी पीठ द्वारा विचार किया जाएगा. अधिनियम के प्रावधानों को चुनौती देते हुए 200 से अधिक याचिकाएं दायर की गईं. अदालत के सामने ये तर्क दिया गया कि प्रवर्तन निदेशालय की गिरफ्तारी, जबरदस्ती स्वीकारोक्ति और संपत्ति जब्त करने की शक्तियां बेलगाम हैं.