नई दिल्ली: साल 2024 दुनिया के लिए अहम साल साबित होने जा रहा है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में चुनाव संपन्न होने के बाद विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका में भी इसी साल 5 नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव होगा।
वर्तमान में दुनिया में कई जगहों पर संघर्ष की स्थिति बनी हुई है… कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां भविष्य में टकराव हो सकता है… ऐसे में युद्धों का भाग्य भी अमेरिकी चुनाव परिणाम निर्भर हो चुका है। इससे जुड़ी एक चर्चित कहावत भी है जिसका लब्बोलुआब ये है कि दुनिया में ऐसी जगह नहीं है जो अमेरिकी नेतृत्व से प्रभावित न होती हो।
जाहिर है कि ये ऐसा चुनाव होने जा रहा है जिस पर अमेरिका ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की नजर होगी। लिहाजा, हम दुनिया के सबसे अहम अमेरिकी चुनाव को लेकर अपने पाठकों के लिए स्पेशल सीरिज चला रहे हैं। इसमें हम अमेरिकी चुनाव से संबंधित महत्वपूर्ण और दिलचस्प जानकारियां आपसे शेयर कर रहे हैं। आज इस सीरिज का पांचवा भाग हम प्रकाशित कर रहे हैं। हमें उम्मीद है, कि हमारी ये सीरिज आपको काफी पसंद आ रही होगी। आज हम आपको अमेरिका चुनाव में खर्च से जुड़ी जानकारी देंगे।
भारत और अमेरिका दोनों ही देशों में प्रमुख चुनाव होने वाले हैं। भारत में ये चुनाव अप्रैल-मई के महीने में होंगे तो वहीं अमेरिका में 5 नवंबर को होंगे। भारत का लोकसभा चुनाव हो या अमेरिका के राष्ट्रपति का चुनाव पैसे के खेल से कोई भी अछूता नहीं रहा है। दोनों देशों में होने वाले चुनाव दुनिया के सबसे महंगे चुनाव माने जाते हैं।
अमेरिका में सबसे महंगा चुनाव
साल 2019 में भारत में हुआ लोकसभा चुनाव उस वक्त दुनिया का सबसे महंगा चुनाव था। उस चुनाव में लगभग 55 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए थे। यानी कि हर संसदीय क्षेत्र में एक अरब रुपये का औसतन खर्च आया था। ये 2014 के मुकाबले 40 फीसदी अधिक था। इतना महंगा चुनाव होने के एक साल बाद ही अमेरिका में चुनाव हुए जिसने खर्च के तमाम रिकॉर्ड तोड़ डाले।
इस चुनाव की कुल लागत 14.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान लगाया गया। अगर इसे भारतीय रुपये में जोड़ा जाए तो ये 112 हजार करोड़ रुपये के करीब होता है जो कि अमेरिका के अब तक के राष्ट्रपति चुनाव इतिहास में सबसे अधिक है। इससे पहले 2016 के अमेरिकी चुनाव में लगभग 49 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए थे।
2024 अमेरिका चुनाव में कितना खर्च होगा?
इस बार होने जा रहे अमेरिका चुनाव में पिछली बार से भी अधिक पैसे खर्च किए जाने की उम्मीद है। एक अनुमान में कहा गया है कि इस बार अमेरिकी चुनाव में रिकॉर्ड 15.9 बिलियन डॉलर खर्च किए जाएंगे, जो 2019-2020 के चुनाव चक्र पर 30 फीसदी से भी अधिक हैं। ये ऑस्ट्रेलिया की GDP के लगभग बराबर होगा।
20 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है खर्च
ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि अमेरिका में 2028 के राष्ट्रपति चुनाव तक 20 अरब डॉलर तक खर्च पहुंच सकता है। एक्सियोस के सर्वेक्षण के अनुसार, अमरीका के चुनाव में खर्च का सबसे बड़ा हिस्सा टीवी पर दिखाए जाने वाले चुनावी अभियान पर खर्च होता है। हालांकि अब डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर भी काफी अधिक पैसा बहाया जाने लगा है।
खर्च की नहीं है पाबंदी
अमेरिका का कानून चुनाव के लिए दिए जा रहे चंदे को लेकर कहता है कि एक उम्मीदवार को कोई भी व्यक्ति 2,800 डॉलर से ज्यादा का चंदा नहीं दे सकता है। हालांकि नियम ये भी है कि राष्ट्रपति का चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार अपनी निजी संपत्ति से जितना चाहें उतना पैसा चुनाव प्रचार के लिए खर्च कर सकते हैं।
अमेरिका में पॉलिटिकल एक्शन कमेटियों को चुनाव प्रचार के लिए खर्च की कोई सीमा तय नहीं है। हालांकि, ये कमेटियां सीधे उम्मीदवारों से नहीं जुड़ी होती हैं। उम्मीदवार लोगों से मिले पैसे ही खर्च करते हैं। खर्च की सीमा नहीं होने से उम्मीदवारों का ध्यान पैसा इकट्ठा करने के लिए ‘फंड रेजिंग’ कार्यक्रमों पर ज्यादा टिका रहता है जिसकी वजह से आर्थिक रूप से कम संपन्न वोटरों के लिए उनेक पास ज्यादा वक्त नहीं होता है।
अमेरिकी चुनाव में अधिकांश वोटर बंटे हुए होते हैं। जिन्होंने मन नहीं बनाया है कि वे किसको वोट देंगे, ऐसे वोटरों का अनुपात कम होता है। ये किसी प्रत्याशी को वोट देने को लेकर अनिर्णय की स्थिति में होते हैं।
ऐसे में विज्ञापनों के जरिए उन लोगों को लुभाने की कोशिश की जाती है। इन वोटों को हासिल करने में पैसा सचमुच बहुत जरूरी हो जाता है। ऐसी स्थिति में पैसा खर्च नहीं करने का आसान मतलब चुनावी दंगल से बाहर होना है। हालांकि चुनावों के लिए पैसा अहम है लेकिन इतना भी नहीं कि नतीजों को प्रभावित कर सके। आखिर 2016 के चुनावों में ट्रंप के मुकाबले दोगुनी रकम खर्च करने के बाद भी हिलेरी क्लिंटन को हार नसीब हुई थी।