नई दिल्ली: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी की करारी शिकस्त हुई है। बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुति सत्ता में आ गई है। हालांकि, अभी तक मुख्यमंत्री पद पर सस्पेंस बरकरार ही है। इसी बीच शिवसेना यूबीटी के नेता अंबादास दानवे ने शनिवार को कहा कि केवल उद्धव और राज ठाकरे ही फैसला कर सकते हैं कि वह हाथ मिलाना चाहते हैं या नहीं।
दानवे ने कहा कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के मुखिया राज ठाकरे की राजनीतिक स्थिति कुछ साफ नहीं है और लोग यह नहीं समझ पा रहे हैं कि वह राज्य सरकार का समर्थन कर रहे हैं या विरोध कर रहे हैं। विधान परिषद में विपक्ष के नेता ने मीडिया से बातचीत में कहा कि हर एक चुनाव के बाद ऐसी चर्चाएं होती हैं कि ठाकरे के चचेरे भाई को एक साथ आ जाना चाहिए। चुनाव का फैसला आने के बाद आपको ये चर्चाएं हर आठ से दस दिन में मिल जाएंगी। केवल वे ठाकरे के चचेरे भाई ही फैसला कर सकते हैं कि क्या वह एक साथ आने चाहते हैं, हमारी कोई भूमिका नहीं है। दानवे ने कहा कि राज ठाकरे का राजनीतिक रुख साफ नहीं है।
राज ठाकरे का रुख साफ नहीं
शिवसेना यूबीटी नेता अंबादास दानवे ने कहा, ‘लोग यह नहीं समझ पा रहे हैं कि राज ठाकरे का रुख सरकार के पक्ष में है या इसके खिलाफ। मनसे ने महायुति के खिलाफ उम्मीदवार उतारे, जबकि दूसरी ओर राज ठाकरे मुख्यमंत्री के रूप में देवेंद्र फडणवीस के लिए वकालत की। उनके रुख में कोई स्पष्टता नहीं है।’ वहीं संजय राउत ने भी कहा था कि जो कोई भी महाराष्ट्र से प्यार करता है उसे एक साथ आना चाहिए। चाहे प्रकाश आंबेडकर ही क्यों ना हो, उन्हें भी एक हो जाना चाहिए। आंबेडकर मराठी नहीं हैं? क्या उन्हें महाराष्ट्र को कुछ नहीं देना होगा? संयुक्त महाराष्ट्र के संघर्ष में बाबा साहब अंबेडकर का योगदान था।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में नहीं जीता मनसे का एक भी कैंडिडेट
हाल ही में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने 125 कैंडिडेट को मैदान में उतारा था, लेकिन कोई भी उम्मीदवार अपना खाता तक ना खोल सका। वहीं, महा विकास अघाड़ी गठबंधन का हिस्सा उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने 95 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 20 सीटें जीतने में कामयाब रही। राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे मुंबई की माहिम सीट से अपना पहला चुनावी मुकाबला शिवसेना (UBT) के महेश सावंत से हार गए।