प्रहलाद सबनानी
सेवा निवृत्त उप महाप्रबंधक
भारतीय स्टेट बैंक
किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को गति देने में उस देश की आधारिक संरचना के विकसित होने का बहुत प्रभाव पड़ता है। कच्चे माल एवं निर्मित वस्तुओं को देश के एक कोने से दूसरे कोने तक पहुंचाने एवं वस्तुओं एवं सेवाओं का निर्यात करने के उद्देश्य से इन्हें विनिर्माण इकाई से देश के बंदरगाह तक ले जाने हेतु आधारिक संरचना का विकसित होना बहुत जरूरी है। भारत में भी हाल ही के समय में इस ओर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। देश में न केवल सड़क मार्ग का मजबूत तंत्र खड़ा कर लिया गया है अपितु अब देश में रेल्वे एवं बंदरगाहों का भी एक तरह से कायाकल्प किया जा रहा है।
केंद्र सरकार भारत के विभिन्न रेल्वे स्टेशनों के विकास के लिए माडल स्टेशन योजना, मार्डन स्टेशन योजना के साथ आदर्श स्टेशन योजना चला रही है। इन योजनाओं के अंतर्गत देश के कई छोटे-बड़े स्टेशनों का उन्नतिकरण एवं आधुनिकीकरण का काम संचालित हो रहा है। जिसमें सबसे महत्वपूर्ण आदर्श स्टेशन योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा विकास के लिए कुल 1,253 रेल्वे स्टेशनों को चयनित किया गया है और अभी तक कुल 1,215 रेल्वे स्टेशन विकसित किये जा चुके हैं। शेष बचे हुए 38 रेल्वे स्टेशनों के विकास के लिए भी कार्य तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है।
एक अन्य योजना के अंतर्गत भारत में ट्रेन की रफ्तार को बढ़ाने के उद्देश्य से आगामी 3 वर्षों में देश में 400 वंदे भारत ट्रेन का निर्माण किए जाने की योजना बनाई गई है। वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए बनाए गए आम बजट में इसके लिए 1.4 लाख करोड़ रुपए की राशि आबंटित की गई है। 16 कोच वाली एक वंदे भारत ट्रेन पर 120 करोड़ रुपये की लागत आएगी। वर्तमान में चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 में 75 ट्रेनों के निर्माण की प्रक्रिया शुरू होगी जो अगस्त 2023 तक समाप्त हो जाने की सम्भावना है। वर्ष 2019 में सेमी हाई स्पीड वंदे भारत ट्रेन की शुरुआत हुई थी। वर्तमान में देश में 2 वंदे भारत ट्रेन दिल्ली से वाराणसी और दिल्ली से कटरा के बीच संचालित हो रही हैं जिनकी चलने की गति 160 किलोमीटर प्रति घंटा है, जो कि देश में अभी तक की सबसे तेज गति से दौड़ने वाली ट्रेन की श्रेणी में शामिल है। इसी क्रम में, यात्रियों को उनके गंतव्य स्थान तक जल्दी पहुंचाने के उद्देश्य से भारतीय रेल्वे एक और योजना पर भी कार्य कर रहा है। जिसके अंतर्गत भारतीय रेल्वे वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन के उन्नतिकृत दूसरे वर्जन की 2 ट्रेनों को लाने जा रहा है। इसमें पहली ट्रेन की गति 180 किलोमीटर प्रति घंटा होगी, जबकि दूसरी ट्रेन की गति 220 किलोमीटर प्रति घंटा होगी।
भारतीय रेल्वे आत्मनिर्भरता हासिल करने के उद्देश्य से भी तेजी से कार्य कर रहा है। अभी हाल ही में भारतीय रेल्वे ने रेल के पहियों का भारत में ही निर्माण करने के उद्देश्य से एक विनिर्माण इकाई को भारत में लगाने के लिए एक टेंडर जारी किया है। इस विनिर्माण इकाई में प्रत्येक वर्ष कम से कम 80,000 पहियों का निर्माण किया जाएगा। साथ ही रेल के पहियों का निर्यात करने की योजना भी तैयार कर ली गई है। भारतीय रेल्वे ने पहली बार निजी कंपनियों को रेल पहिए के निर्माण हेतु विनिर्माण इकाई स्थापित किए जाने हेतु आमंत्रित किया है। इस ‘मेक इन इंडिया’ प्लांट में हाई स्पीड ट्रेनों और यात्री डिब्बों के पहियों का निर्माण किया जाएगा एवं जिसकी खरीदी रेल्वे विभाग द्वारा सुनिश्चित की जाएगी। साथ ही इस प्लांट में निर्मित किए गए रेल पहियों का यूरोपीय बाजार में निर्यात भी किया जाएगा।
भारतीय रेल्वे द्वारा विभिन क्षेत्रों में लगातार बढ़ाई जा रही गतिविधियों के चलते देश में रोजगार के भी लाखों अवसर निर्मित हो रहे हैं। वैसे भी देश में नागरिकों को रोजगार देने में भारतीय रेल्वे का बड़ा योगदान रहा है। भारतीय रेल्वे ने 8 वर्षों के दौरान लगभग 3.5 लाख नागरिकों को नौकरी प्रदान की हैं और लगभग 1.40 लाख रोजगार के अवसरों की भर्ती प्रक्रिया जारी है, जिन्हें जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा।
रेल्वे मार्ग के आधुनिकीकरण के साथ ही सड़क मार्ग को भी मजबूती प्रदान की जा रही है। केंद्रीय बजट में सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय को 1.99 लाख करोड़ रुपये की राशि आबंटित की गई है। विशेष रूप से दिल्ली-मुंबई के बीच बन रहे आठ लेन के ग्रीन एक्सप्रेस-वे के पूर्ण हो जाने के बाद कम्पनियों की लॉजिस्टिक की लागत में बहुत कमी आएगी क्योंकि पहिले दिल्ली मुम्बई के बीच एक ट्रिप में जहां 54 घंटे का समय लगता था वहां अब इस नई परियोजना के पूर्ण होने के उपरांत केवल 18 से 20 घंटे का समय ही लगेगा। इस प्रकार इससे न केवल परिवहन लागत में भारी कमी आएगी बल्कि CO2 उत्सर्जन में भी बहुत बड़ी मात्रा में कमी होगी।
भारत में भारतमाला परियोजना को भी तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है। इसके प्रथम चरण के अंतर्गत विकसित किए जाने वाले 34,800 किलोमीटर सड़क मार्ग में से अभी तक राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना के तहत 6,18,686 करोड़ रुपये की लागत का 20,411 किलोमीटर लम्बे सड़क मार्ग का कार्य आबंटित किया गया है, जिसमें से अब तक 8,134 किलोमीटर सड़क के विकास का काम पूरा हो गया है। इस परियोजना के तहत गलियारों, फीडर सड़कों, सीमा, अंतर्राष्ट्रीय संपर्क सड़कों, तटीय और बंदरगाहों से जुड़ी सड़कों, एक्सप्रेस-वे और एनएचडीपी की बकाया 10 हजार किलोमीटर की सड़कों पर भी काम शीघ्र ही प्रारम्भ किया जाएगा।
इसी प्रकार, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) भी देश में 1.47 लाख किलोमीटर से अधिक सड़कों का निर्माण कर रहा है। एनएचएआई 22 हरित राजमार्ग भी बना रहा है और 2024 के अंत तक भारत के सड़क ढांचे को अमेरिकी सड़कों के बराबर विकसित करने की योजना पर काम चल रहा है। भारत में बेहतर डिजाइन और निर्माण से सड़क दुर्घटनाओं में 28.28 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।
रेल्वे एवं सड़क मार्ग को विकसित किए जाने के साथ ही भारतीय बंदरगाहों का विस्तार कार्य भी तेज गति से जारी है। विशेष रूप से पिछले 8 वर्षों में भारत सरकार ने समुद्री क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छूते हुए व्यापार और वाणिज्यिक गतिविधियों को लंबी उछाल दी है एवं इस दौरान भारत के बंदरगाहों की क्षमता लगभग दुगुनी हो गई है। इस दौरान बंदरगाह क्षमता का विस्तार कर मौजूदा प्रणालियों को अधिक कुशल बनाया गया है। भारत में आज मात्रा की दृष्टि से 95 प्रतिशत व्यापार एवं मूल्य की दृष्टि से 65 प्रतिशत परिवहन समुद्र के रास्ते से हो रहा है। आज भारत की लगभग 7,500 किलोमीटर लंबी तटीय सीमा पर 13 बड़े और 200 से अधिक छोटे बंदरगाह कार्यरत हैं।
वर्ष 2015 में प्रारम्भ की गई सागरमाला परियोजना के अंतर्गत भी तेज गति से कार्य जारी है। सागरमाला परियोजना एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है, जिसके अंतर्गत समुद्र और नदियों के संसाधनों का इस्तेमाल करके रोजगार के लाखों अवसर पैदा करना है एवं बंदरगाहों का विकास करना शामिल है। इस परियोजना के अंतर्गत 5 लाख 50 हजार करोड़ रुपये की 802 योजनाओं का क्रियान्वयन किया जाएगा और इससे आगामी 10 वर्षों में 1 करोड़ लोगों को रोजगार मिलने लगेगा। वर्ष 2014-15 के दौरान भारतीय बंदरगाहों की स्थापित क्षमता 1531 एमटीपीए थी, जो अब 2020-21 में बढ़कर 2554.61 एमटीपीए हो गई है।