नई दिल्ली। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने रविवार को चंडीगढ़ में तीन नए आपराधिक कानूनों के लिए ई-साक्ष्य, न्याय सेतु, न्याय श्रुति और ई- समन ऐप का लोकार्पण किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि नए कानून और इनसे चलने वाला क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम 21वीं सदी का सबसे बड़ा रिफॉर्म साबित होगा। किसी भी केस में 3 साल के अंदर फरियादियों को सुप्रीम कोर्ट तक से न्याय मिल सकेगा।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीनों नये कानूनों में देश की मिट्टी की सुगंध और हमारे न्याय के संस्कार हैं।
ई-साक्ष्य, ई-समन, न्याय सेतु और न्याय श्रुति ऐप्प से पूरे तंत्र की टेक्निकल कंपिटेंसी को बढ़ावा मिलेगा।
उन्होंने कहा कि नए कानूनों का उद्देश्य लोगों को दंड नहीं, न्याय देना है। इसीलिए, ये दंड संहिता नहीं, न्याय संहिता हैं। नए कानूनों के सम्पूर्ण क्रियान्वयन के बाद विश्व में सबसे आधुनिक और टेक्नोलॉजी से युक्त क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम भारत का होगा। इन तीनों नए कानूनों के सुगम अमल के लिए मोदी सरकार ने कई पहलें की हैं। इस दिशा में सीसीटीएनएस से लेकर एसएचओ की ट्रेनिंग और एफएसएल के इंटीग्रेशन तक बहुत काम किया जा रहा है। 2 महीने बाद चंडीगढ़ देश का पहला ऐसा एडमिनिस्ट्रेटिव यूनिट होगा, जिसमें तीनों नए कानूनों का शत प्रतिशत क्रियान्वयन हो चुका होगा।
उन्होंने कहा कि नए कानूनों में इस प्रकार की टाइम बॉन्ड व्यवस्था की गई है कि किसी भी फरियाद पर 3 साल के अंदर सुप्रीम कोर्ट तक का जजमेंट आ जाएगा। गृह मंत्री ने सभी को अफवाहों से दूर रहने और नए कानूनों के क्रियान्वयन के लिए सक्रिय और रचनात्मक योगदान देने की अपील की
ई- साक्ष्य के तहत घटनास्थल की सभी वीडियोग्राफी, फोटोग्राफी और गवाही सर्वर हो जाएगी, जो तुरंत ही कोर्ट में भी उपलब्ध होगी।
गृहमंत्री ने बताया कि ई-समन के तहत कोर्ट से पुलिस स्टेशन और समन पाने वाले व्यक्ति तक की पूरी प्रक्रिया इलेक्ट्रॉनिक होगी। ‘न्याय सेतु’ डैशबोर्ड पर पुलिस, मेडिकल, फॉरेन्सिक, प्रॉसीक्यूशन और प्रिज़न इंटरलिंक्ड हैं, जिससे जाँच से संबंधित सभी जानकारी एक क्लिक पर उपलब्ध होगी।
‘न्याय श्रुति’ के माध्यम से न्यायालय वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गवाहों की सुनवाई कर सकेगा। इससे केस का निपटारा जल्दी हो सकेगा।