ऋषिकेश : तीर्थनगरी ऋषिकेश का दिल कहे जाने वाले त्रिवेणी घाट पर शुक्रवार दोपहर में अजीब वाकया पेश आया. दरसल जल पुलिस के अनुसार एक फौजी जो जम्मू और कश्मीर में तैनात हैं और फिलहाल छुट्टी पर घर आये हुए हैं और कोटद्वार के रहने वाले हैं. उनकी ससुराल श्यामपुर में बतायी गयी है. बच्चों को लेकर ससुराल आये हुए थे फौजी साहब. सोचा शॉपिंग भी कर लें इसी बहाने बच्चों के लिए.
अपने परिवार संग डार्क नीली रंग की नयी नवेली बलेनो कार में त्रिवेणी घाट पहुंचे. सोचा सुरक्षित जगह है नगर निगम की पार्किंग में खड़ी कर बाजार का नजारा देख लिया जाये. फिर क्या था फौजी साहब तो चले गए परिवार संग बाजार की गलियों में और उनकी कार जो पार्किंग में खड़ी थी वो चल दी गंगा नदी में स्नान करने. जी हाँ. यह सच है. दरसल अंगार निगम पार्किंग प्रागंण में जल पुलिस की चौकी है. उसी के पास ही कार भी पार्क थी. अब फौजी साहब हैंड ब्रेक लगाना भूल गए और कार बैक होते हुए सीधे लुढ़क गयी गंगा नदी में. घाट पर लोगों हैरान परेशान, ड्राइवर भी नहीं और कार सीधे गंगा नदी के अंदर कैसे घुस आयी. बगल में जल पुलिस की चौकी है तुरंत जल पुलिस से विनोद सेमवाल, हरीश गुसाईं व् अन्य जवान तुरंत कार को थामने के लिए लगाईं छलांग नदी में. लेकिन वे भी हैरान अंदर ड्राइवर भी नहीं और कार कैसे घुस आयी गंगा नदी में. तब तक आस पास के लोग और घाट पर बच्चे जो पानी में रहते हैं वे भी कूद पड़े जल पुलिस कर्मियों संग. कार को जैसे तैसे थामा गया, रस्सी मंगाई गयी, किसी ने फौजी साहब की बलेनो कार के टायर पकडे तो किसी ने उसके कान कोई आगे से पकड़े खड़ा था तो कोई पीछे से.
कुल मिला कर इस दौरान फौजी साहब की शॉपिंग चल रही थी. उनको सूचना भी नहीं थी. होती भी कैसे ? न कोई जानता था न कोई पहचानता था. पर्ची काट के चल दिए वो तो बाजार की गलियों में. लेकिन गनीमत रही कोई नुक्सान नहीं हुआ जान-माल का. अब शॉपिंग कर के जैसे ही फौजी साहब बच्चों संग पहुंचे तो बच्चों ने कहा पापा जी हमारी कार गंगा जी में क्या कर रही है ? कैसे पहुँच गयी ? फौजी भी ताव में आये उन्होंने भी पूछा ? फिर हैरान परेशान फौजी साहब. फिर जल पुलिस कर्मियों ने बताया भाई साहब आप लगता है हैंड ब्रेक लगा के नहीं गए. ये धीरे धीरे पीछे होती गयी और लुढक गयी गंगा नदी में. तब फौजी साहब को बताया गया गनीमत समय पर पकड़ ली कार हम लोगों ने. नहीं तो बैराज के भी गेट खुले थे पानी भी तेज था कार हरिद्वार पार हो जाती और क्या होता कार का ? अंदाजा लगा सकते हैं…बिन तेल के उत्तराखंड पार हो जाती. हालाँकि यहाँ पर तेल हालाँकि यहाँ पर तेल काम नहीं आया लेकिन पानी…..खैर, फौजी साहब ने इल्तजा की पुलिस कर्मियों से निकालवा दीजिये किसी न किसी तरह, फिर रस्सी मंगवाई गयी और जोर- लगाय-के-हाई-सा-वाली प्रक्रिया अपना कर कार को किसी तरह पार्किंग तक पहुंचाया गया.जल पुलिस और घाट पर रहने वाले बच्चों ने जैसे तैसे रेत में से कार को नदी किनारे तक ले के आये.
तब सबने राहत की सांस ली, लेकिन बड़ा नुक्सान होने से बच गया. फौजी साहब ने गंगा जी को प्रणाम किया. गलती का अहसास भी हुआ. फिर फौजी अपने ससुराल चल दिए बैठ के गंगा स्नान करि हुई गीली गाडी में. ऐसे में भला हो जल पुलिस का जो मौके पर थी और कार बहने से बच गयी..उम्मीद है आगे से हैण्ड ब्रेक लगा के इधर उधर जायेंगे. एक तरह से सन्देश भी है कभी भी कार खड़ी करके जाओ तो हैंड ब्रेक लगा के जाइये वरना कार ऐसे ही घूमती रहेगी बिन तेल और ड्राइवर के और ऐसे में कार मालिक कोई और ही बन बैठा पायेगा….!