नई दिल्ली: भारत की महिलाएं.. अब मर्दों से किसी मामले में कम नहीं हैं. चूल्हा-चौका वाला दौर बीत चुका है. अब महिलाएं, मर्दों से कंधे से कंधा मिलाकर हर काम में आगे हैं. देश की राजनीति को दिशा देने में भी महिलाएं, मर्दों से आगे निकल चुकी हैं. निर्वाचन आयोग (EC) ने हाल ही में एक आंकड़ा पेश किया है. 2024 लोकसभा चुनाव और चार विधानसभा चुनावों से जुड़ा डिटेल आंकड़ा आपको हैरान कर देगा. आंकड़ों में केवल महिलाओं की बढ़ती भागीदारी ही नहीं, बल्कि मतदान प्रक्रिया से जुड़े कई दिलचस्प पहलुओं को भी सामने रखा गया है.
महिलाओं ने मतदान प्रतिशत में पुरुषों को पीछे छोड़ा
इस रिपोर्ट में महिलाओं ने मतदान प्रतिशत में पुरुषों को पीछे छोड़ दिया. और कुल मतदाताओं की संख्या में भी इजाफा हुआ. यह डेटा भारत जैसे विशाल लोकतंत्र की चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और मजबूती को दर्शाता है….
10 बड़ी बातें..
महिला मतदाताओं ने पुरुषों को पछाड़ा
महिलाओं का मतदान प्रतिशत 65.78% रहा, जबकि पुरुषों का 65.55%. यह दिखाता है कि महिलाएं अब राजनीतिक प्रक्रिया में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं.
सबसे अधिक महिला उम्मीदवार महाराष्ट्र से
इस बार 800 महिलाओं ने लोकसभा चुनाव लड़ा, जो 2019 के मुकाबले 74 ज्यादा है. महाराष्ट्र में सबसे अधिक 111 महिला उम्मीदवार मैदान में थीं.
152 लोकसभा क्षेत्रों में कोई महिला उम्मीदवार नहीं
हालांकि महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है, लेकिन 543 लोकसभा क्षेत्रों में से 152 सीटें ऐसी थीं, जहां एक भी महिला उम्मीदवार नहीं थीं.
मतदान का कुल आंकड़ा
कुल 64.64 करोड़ मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. इनमें से 32.93 करोड़ पुरुष, 31.27 करोड़ महिलाएं और 13,000 से अधिक तीसरे लिंग के मतदाता थे.
सबसे अधिक और सबसे कम मतदान
असम के धुबरी संसदीय क्षेत्र में सबसे अधिक 92.3% मतदान हुआ. जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में सबसे कम 38.7% मतदान हुआ, जो 2019 में 14.4% था.
कम मतदान वाले संसदीय क्षेत्र
11 लोकसभा क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत 50% से कम रहा. इस बार 1.19 लाख प्रवासी भारतीय मतदाता पंजीकृत हुए, जो 2019 के 99,844 से अधिक हैं. इनमें 1.06 लाख पुरुष, 12,950 महिलाएं और 13 तीसरे लिंग के मतदाता शामिल हैं.
ईवीएम और डाक मतपत्र का उपयोग
कुल 64.21 करोड़ वोट ईवीएम के जरिए डाले गए. डाक मतपत्र के जरिए 42.8 लाख से अधिक वोट डाले गए.
पुनर्मतदान में कमी
2024 में केवल 40 मतदान केंद्रों पर पुनर्मतदान हुआ, जो 2019 के 540 केंद्रों से काफी कम है.
मतदान केंद्रों की संख्या में वृद्धि
इस बार कुल 10.52 लाख मतदान केंद्र बनाए गए, जो 2019 की तुलना में अधिक हैं.
महिला भागीदारी का बढ़ता असर
निर्वाचन आयोग ने बताया कि इस बार महिलाओं की बढ़ती भागीदारी भारतीय लोकतंत्र के लिए एक सकारात्मक संकेत है. यह न केवल राजनीतिक जागरूकता का प्रतीक है, बल्कि समाज में महिलाओं की मजबूत भूमिका को भी दर्शाता है. निर्वाचन आयोग ने इस डेटा को जनता के साथ साझा करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और विश्वास बढ़ाना है. यह पहली बार है जब इतने विस्तृत आंकड़े जारी किए गए हैं.