राजेश शर्मा
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः ।
यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः ।। मनुस्मृति ३/५६ ।।
यत्र तु नार्यः पूज्यन्ते तत्र देवताः रमन्ते,
यत्र तु एताः न पूज्यन्ते तत्र सर्वाः क्रियाः अफलाः (भवन्ति) ।
अर्थात जहां नारियों की पूजा होती है वहाँ देवता निवास करते हैं और जहाँ नारियों की पूजा नही होती है, उनका सम्मान नही होता है वहाँ किये गये समस्त अच्छे कर्म निष्फल हो जाते हैं।
सबसे पहले शारदीय नवरात्र में यह सुसंकल्प लें कि नारी जाति के प्रति, नारी जाति के सम्मान के प्रति और इनकी सुरक्षा के लिए सदैव तत्पर रहेंगे। यही सच्ची माँ भगवती की आराधना होगी।
आज बेहद चिंता और चिंतन करने का विषय है कि भारत देश को भारत माता, धरती को धरती माता और गाय को गौ माता कहा जाता है। ऐसे देश में हर एक दिन किसी माँ, बहन और बेटी की अस्मत लूटी जा रही है …
भारत का प्रत्येक हिन्दू धर्मावलंबी माँ भगवती की उपासना करता है, भगवती से कल्याण का वरदान मांगता है। लेकिन जो देवी स्वरूपाएँ साक्षात पृथ्वी पर विद्यमान है इनकी सेवा, सहयोग और सुरक्षा के लिए आगे आने में कतराता है ।
आइये शारदीय नवरात्रि में नारी जाति के सम्मान और सुरक्षा का सुसंकल्प लें…