किताब
‘ताकि सनद रहे’
संकलन-संपादन
गौरव अवस्थी ” आशीष ”
(51 कोरोना योद्धाओं की सत्य कथाओं का संग्रहणीय प्रेरणास्पद दस्तावेज़)
समीक्षक-
श्रीमती चेतना भाटी ( लेखिका)
कोरोना महामारी जब विश्व भर में तबाही मचा रही थी और हम सब उसके आतंक से दुबके बैठे थे घरों में । तब कई लोग ऐसे भी थे जो अपनी जान की परवाह किए बगैर दूसरों की सेवा में , देखभाल में लगे सहायता कर रहै थे हर तरह से । फिर चाहे पलायन कर रहे मजदूरों को खाना – पानी – चप्पलें बांटना हो , उन्हें सुरक्षित उनके घर पहुंचना हो या लावारिस और ऐसे शवों का अंतिम संस्कार करना हो जिन्हें कोई कंधा देने वाला न हो महामारी के भय से । कोई दवाइयां बांट रहा है , तो कहीं ऑक्सीजन लंगर लगे हैं । कोई एंबुलेंस बना रहा है अपने रिक्शा को , तो कोई जानवरों को खाना खिला रहा है ।
यहां परदेस में रहकर देश की चिंता करती प्रवासी संस्थाएं हैं तो कहीं बुजुर्गो की टोली मोर्चा संभाले है । क्या बड़े बुजुर्ग और क्या बच्चे , युवा और महिलाएं सभी अपने-अपने तरह से मोर्चा संभाले हुए थे । जिससे, जहां से, जो भी करते बन रहा था कर रहा था। किसी डॉक्टर ने अपनी शादी टाल दी करोना मरीजो के इलाज के लिए। तो कहीं अफसर दुकानों के ताले तोड़ रहे थे ताकि टूटते बोल्ट के कारण खत्म होती ऑक्सीजन बचाई जा सके l
और भी कितनी ही कहानियां है यहां जीवन में आस – उम्मीद की उज्जवल किरण की तरह, अत्यंत प्रेरणादायक – प्रभावी और इन्हें पढ़ते समय यही लगता रहा कि काश! हमने भी कुछ किया होता ऐसा!
51 कथाएं यानी 51 अनूठे नायाब तरीके परोपकार के, दूसरों की सहायतार्थ। चुन लो कोई भी अपने मान मुताबिक और फिर ना कहना कि – अरे हम करना तो चाहते हैं लेकिन समझ ही नहीं आता क्या करें ?
मन में जज्बा हो, जुनून हो, तो क्या कुछ नहीं किया जा सकता? और यहां कुछ भी छोटा या बड़ा नहीं होता बस सेवा कार्य होता है। जैसे कि प्यासे के लिए दो बूंद पानी भी अनमोल होता है। इन 51 प्रेरक कहानियों से जो प्रेरणा प्राप्त होती है वह तो बेशकिमती है ही। परंतु इन सब कहानियों को एकत्रित कर एक साथ संसार के सम्मुख रखने का विचार ही बेमिसाल है।
और इस तरह यहां एक 52 वीं अनकही कथा भी स्पष्ट दिखाई देती हैं इन 51 कथाओं के बीच, जो अत्यधिक प्रेरणास्पद है। जितना भी कहा जाए कम है- अत्यंत प्रसंसनीय, सराहनीय, अनुकरणीय l
इन सब कथाओं को हमारे समक्ष लाने के लिए संकलनकर्ता – संपादक जी को अनेकानेक बधाई – साधुवाद!