आनंद अकेला एवं उमा शंकर तिवारी
सीधी। कुं. अर्जुन सिंह सर्वहारा कल्याण मंच की तरफ से यादे अर्जुन सिंह द्वितीय सोपान कार्यक्रम में आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में देश के विभिन्न हिस्सों से आए प्रख्यात कवियों ने सबके दिलों पर अपनी कविता की छाप छोड़ी। दर्शकों ने तालियों से उनका स्वागत किया। हास्य-व्यंग्य, श्रृंगार और वीर रस की कविताओं ने कभी गुदगुदाया, कभी हंसाया तो वतन पर मर मिटने की सौगंध भी दिलाई।
शनिवार को सीधी के छत्रसाल स्टेडियम में मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यंत्री कुं. अर्जुन सिंह की स्मृति में यादें अर्जुन सिंह द्वितीय सोपान कार्यक्रम के तहत आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन और सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। जिसका उद्घाटन पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल, नर्मदा घाटी विकास एवम पर्यटन मंत्री मध्यप्रदेश सरकार सुरेंद्र सिंह बघेल, पूर्व मंत्री भगवान सिंह यादव एवं कमलेश्वर द्विवेदी, पूर्व विधायक सुखेन्द्र सिंह बन्ना एवं तिलकराज सिंह, प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष लालचंद गुप्ता, प्रदेश कांग्रेस महासचिव महेंद्र सिंह एवं ज्ञान सिंह, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष चिंतामणि तिवारी, कांग्रेस जिला अध्यक्ष रुद्रप्रताप सिंह ने कुं अर्जुन सिंह की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित एवं दीप प्रज्ज्वलित कर दिया।
तीन हस्तियों का किया गया सम्मान
कार्यक्रम के प्रथम चरण में सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतरीन कार्य करने के लिए श्यामलाल शाह चिकित्सालय के डीन डॉ एपीएस सिंह गहरवार, शिक्षा के क्षेत्र में एसजीएस कॉलेज के प्रो मो सलीम और सामाजिक क्षेत्र में रोको, टोको और ठोको संगठन के उमेश तिवारी को साल ओढ़कर और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में सम्मान समारोह की अध्यक्षता कर रहे पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल ने अपने संक्षिप्त उदबोधन में कवियों और अतिथियों का स्वागत किया। साथ ही आयोजन के लिए कु. अर्जुन सिंह सर्वहारा कल्याण मंच के संयोजक राजकुमार सिंह को आयोजन के लिए बधाई दी।
पर्यटन मंत्री ने कहा दाऊं साहब के संस्मरण सुनाएं
मध्यप्रदेश सरकार के नर्मदा घाटी विकास एवं पर्यटन मंत्री सुरेंद्र सिंह बघेल ने कार्यक्रम में कुं अर्जुन सिंह दाऊ साहब के संस्मरण सुनाएं। पर्यटन मंत्री बघेल ने बताया कि दाऊ साहब का संरक्षण हमेशा उनके परिवार के साथ रहा। उन्होंने बताया कि दाऊ साहब ने ही उनके परिवार में राजनीति में प्रवेश कराया। दाऊ साहब को प्रेरणास्त्रोत बताते हुए पर्यटन मंत्री बघेल ने कहा कि पिता की मृत्यु के बाद जब उन्हें अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर चारों तरफ निराशा दिख रही थी तब दाऊ साहब ने उन्हें हौसला दिया। पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल भैय्या को लेकर पर्यटन मंत्री सुरेंद्र सिंह बघेल ने कहा कि वर्ष 2013 में पहला चुनाव जितवाने से लेकर आज तक राहुल भैया का सानिध्य हमेशा उनके साथ रहा है। उन्होंने कहा कि आपका भतीजा आपकी सेवा के लिए हमेशा तत्पर रहेगा। कार्यक्रम में प्रदेश कांग्रेस महासचिव महेंद्र सिंह कहा कि देश के विकास में कुं अर्जुन सिंह के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है।
कवियों का किया गया सम्मान
यादें अर्जुन सिंह द्वितीय सोपान कार्यक्रम में दूसरे चरण में (नेशनल फ्रंटियर की कवरेज) अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का शुभारंभ कवियों का सम्मान करके किया गया। कार्यक्रम में मटुक धारी सिंह ने गजेंद्र सोलंकी का, मनोज कोल ने अशोक सुंदरानी का, हरिहर सिंह ने अनिल चौबे का, श्रीनिवास साकेत ने हाशिम फिरोजाबादी का, सूर्यपाल सिंह राजन ने शंभू शिखर का, अरुण सिंह चिंटू ने मुमताज नसीम का, मो. जान निसार खान ने राधाकांत पाण्डेय का, प्रो प्रमोद सिंह ने अखिलेश द्विवेदी का, रवि सिंह चौहान ने विजय लक्ष्मी शुक्ला का तथा विद्याकांत जयसवाल ने साक्षी तिवारी पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया।
साक्षी तिवारी की रचना ने वाहवाही बटोरी
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का शुभारंभ मुमताज नसीन ने मां सरस्वती की वंदना करके की। कवि सम्मेलन की पहली कवि साक्षी तिवारी ने अपनी मधुर वाणी से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। प्रयागराज से आई कम उम्र की कवयित्री साक्षी तिवारी की रचना ‘नन्हीं सी कलम हूं मैं, पर काम बड़ा कर दूं, आशीष मिले सबका तो नाम बड़ा कर दूं’ ने जमकर वाहवाही बटोरी।
अरविंद द्विवेदी ने लगाई ठहाकों की झड़ी
प्रयागराज से आए हास्यकवि अरविंद द्विवेदी के मंच संभालते ही ठहाकों की झड़ी लग गई। उनके लहराते अंदाज में शानदार सीधी के जानदार लोगों कहते ही पूरा मैदान तालियों से गूंज उठा। इस बीच उन्होंने पति-पत्नी की विनोद भरी जिंदगी पर जमकर ठहाके लगवाएं। जय हो जनता ही जय हो हिदुस्तान की। इस कविता को उनके साथ श्रोता भी गुनगुनाने लगे। उन्होंने अपनी हास्य रचना पर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर जमकर तंज कसे। अखिलेश द्विवेदी ने ‘जो हैं पढ़े-लिखे सब सन्तरी बने, जिसने विवाह करके अपनी पत्नी छोड़ दी वो अपने देश में प्रधानमंत्री बने….’ सुनाया तो देर तक तालियां बजती रहीं।
राधाकांत पाण्डे ने विंध्य की धरा का किया यशगान
युवा कवि राधाकान्त पाण्डे ने बताया कि वो विंध्य की माटी चुरहट के कोष्टा गाँव निवासी है। कार्यक्रम में कुंवर अर्जुन सिंह को क्षेत्र के विकास के लिए दिए गए उनके योगदान को याद किया। उन्होंने लोगों से भविष्य की कल्पना पर जीना छोड़, वर्तमान में जीने की अपील की। कवि राधाकांत पाण्डेय ने दाऊं साहब को याद करते हुए कहा कि सहज स्वभाव बातचीत में भरी मिठास, रूप था अनूप जैसे किसी देवदूत का। माटी का वो लाल था कमाल जो बना मिसाल देखिए प्रमाण वर्तमान चाहे भूत का। राजनीति वाले आसमान का रहा जो सूर्य राजा था परंतु भाव जैसे अवदूत का, भूलके भी देश जो भुला न सके कभी, ऐसा दिव्य किरदार था मेरे विंध्य के सपूत का। कवि राधाकांत पाण्डेय ने कहा कि सीधी और दाऊं साहब दोनों एक दूसरे के पर्याय थे। उन्होंने सीधी की व्याख्या करते हुए कहा कि जब सी या लक्ष्मी और धी यानि सरस्वती दोनों का मिलते हैं जब सीधी का बनता है। विंध्य की धरा का यशगान करते हुए कवि राधाकांत पाण्डेय की रचना स्वर जो थिरकता है किसी तानसेन का तो अकबर का भी वह मान बन जाता है। बुद्धि हो तो विलक्षण इसी भूमि का महेश बीरबल जैसी पहचान बन जाता है। संस्कृति जब संस्कार ढूढ़े लेखनी में वाणभट्ट काव्य प्रतिमान बन जाता है। धन्य विंध्यभूमि का प्रभाव जिसे जोड़ ले तो जन गण मन राष्ट्र गान बन जाता है।
विजय लक्ष्मी की रचना ने किया भावविभोर
सम्मेलन में ओजस्वी कवयित्री विजय लक्ष्मी शुक्ला संवेदना ने नारियों पर आधारित रचना सुनाते हुए कहा कि नारी हूं मैं नारी हूं ईश्वर की कृति न्यारी हूं की प्रस्तुति कर भाव विभोर किया।
शंभू शिखर की विनोदभरी लाइनें गुदगुदाती रहीं
बिहार की धरती से आए हास्य कवि शंभू शिखर ने शुरुआत ही विनोद भरी लाइन सीधी के लोग व टेढ़ी मेढ़ी गलियों को सलाम करके की। उन्होंने सड़क निर्माण में हो रहे भ्रष्टाचार पर व्यंग्य कसते हुए कहा कि यहां कि सड़कें भी उसी मटेरियल से बनवाइयें जिस मटेरियल से स्पीड ब्रेकर बनवाते हैं। वैलेनटाइन वीक पर उन्होंने कहा कि आजकल देश में लवरात्रि चल रही है। साथ ही बताया कि कापी पेस्ट का आविष्कार महिलाओं ने किया था। बिहार के राजनीतिक हालात पर तंज कसते हुए शंभु ने कहा ‘उल्टे तवे पर रोटियां सिकती नहीं ज्यादा, दारू के बिना दोस्ती टिकती नहीं ज्यादा।’ शंभू शिखर ने अपनी कविता के माध्यम से समसामयिक घटनाओं, नेताओं और वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य पर बेहतरीन व्यंग्य और कटाक्ष किया।
मुमताज नसीम के आवाज की खनक का बिखरा जादू
दिल्ली से आई अंतरराष्ट्रीय शायर मुमताज नसीम ने सम्मेलन में अपनी खनक भरी आवाज के जादू से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। उनकी प्रेम रस में भींगी कविता – ‘प्यार की खुशबुओं के समंदर में, मुस्कुराता हुआ शोख मंजर हूं मैं, जानती हूं कि तू मेरी तकदीर है, मान भी जा कि तेरा मुकद्दर हूं मैं’ ने जमकर तालिया बटोरी। मुमताज नसीम ने एक के बाद एक गजल, शायरी और गीतों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया. उनकी कविताओं में जहां शोखी थी, वहीं चंचलता, विरह और प्यार की भावना भी झलक रही थी।
हासिम फिरोजाबादी के आते ही श्रोता झूमें
अंतरराष्ट्रीय कवि हासिम फिरोजाबादी ने अपनी कविता में वीर रस का समावेश करके लोगों को देशभक्ति के प्रति आकर्षित किया। उनकी कविताओं का असर इस कदर सीधी के श्रोताओं पर पड़ा कि वो जनाब हासिम फिरोजाबादी के साथ काव्य पाठ करने लगे। सभी श्रोताओं को देश भक्ति की गंगा में गोता लगवाने के बाद हासिम फिरोजाबादी ने प्यार और मोहब्बत का भी रसपान कराया। हासिम फिरोजबादी की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके मंच पर आते ही पूरा सदन तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। जब तक उनका काव्य पाठ चलता रहा लोगों की आह और वाह तालियों में तब्दील होती रही। कार्यक्रम के दौरान उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए जो मेरे देश के हैं गद्दार, नहीं है जिनको इनसे प्यार की गीत पर श्रोताओं ने जमकर तालियां बजाई। हासिम फिरोजाबादी के आस ही काफी है मेरे जीने में, दिल ही नहीं आप धड़कते हैं मेरे सीने में, अब न हो मुल्क में कोई दंगा कभी, और मैली न हो ये गंगा कभी, आइए आज हम खाए कसम, झुकने न देंगे ए हासिम तिरंगा कभी, जिनके हाथों से तिरंगा न संभाला जाए, ऐसे नेताओं को संसद से निकाला जाए, अपने इस देश को एक बात बतानी है मुझे, आस्तीनों में कोई सांप न पाला जाए, यही आगाज है मेरा यही अंजाम है मेरा, मैं शायर हूं दिलों को जोड़ने का काम है मेरा, वतन को आंच जब आए सरों को पेश कर देना, सभी हिन्दु मुसलमां को यही पैगाम है मेरा, शहीदा ने वतन को याद सुबह व शाम करते हैं, शौक से सर हम वतन के नाम करते हैं, झुकने न देंगे तिरंगे को कयामत तक, हम तालिम हुक्मे मजहब-ए-इस्लाम करते हैं, तेरे गुरूर को एक दिन जरूर तोडुंगा, तु आफताब सही पर तुझे बुझाकर छोडूंगा, बहुत जइन समझती है खूद को वो लड़की, मुझे कसम है कि पागल बनाकर छोडूंगा, मैं अपने मूल्क की अमन-वो-सलामती के लिए हरेक हिंदू मुसलमां के हाथ जोडूंगा, सहित दर्जनों ऐसे कविताओं से घंटों समा बांधे रखा। जब तक उनकी कविता चलती रही, सीधी के श्रोता झूमते रहें।
अनिल चौबे ने जमकर हंसाया
बनारस से आए हास्य कवि अनिल चौबे ने हास्य व्यंग्य के जरिये श्रोताओं को हंसने पर मजबूर कर दिया। नया नया जब टीवी खरीदा गया, हाथ में रिमोट लेकर पसर गये बाबू जी,चार बजे भोर में धर्म की बात शुरू आस्था की नदी में उतर गए बाबू जी। कवि अनिल चौबे ने डोकलाम की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि जिस देश के लोगों की आंखें छोटी हैं वह हम पर नजर गड़ाए हुए है। यह समझ लीजिए कि कभी चीन में 5-7 फीट का आदमी दिख जाए तो सीधी जिले का कोई सिद्ध मुनि वाहन घूमने गया था।
अशोक सुंदरानी ने दिया मार्मिक संदेश
सतना के हास्य व्यंग्य के सम्राट अंतरराष्ट्रीय कवि अशोक सुंदरानी ने बताया कि उनका सीधी से विशेष लगाव है। इससे पहले उनके कई आयोजन सीधी के पूजा पार्क में हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि दस वर्ष बाद भी सीधी की खुश्बू में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। उन्होंने दाऊं साहब को याद करते हुए उन्हें विंध्य का एक अनमोल रत्न बताया। उन्होंने कहा कि हमने राम का कद कभी बढ़ने ही नहीं दिया। रावण का कद साल दर साल बढ़ता गया पर राम का कद अभी भी पहले जितना नहीं है। जब हम रावण को देखने जाएंगे तो बच्चों में राम के संस्कार कहां से लाएंगे। उन्होंने कहा कि रावण के स्थान पर हर वर्ष भ्रष्ट नेता को जिंदा लगाकर खत्म करना होगा। तभी देश में दशहरा मनेगा। उन्होंने सीधी के शहीद सैनिक सुधाकर सिंह को याद करते हुए कहा कि बघेलखंड का सैनिक कटना जो जानता है पर झुकना नहीं जानता। उनकी हास्य भरी फुलझड़ियों ने लोगों में जमकर गुदगदी की।
गजेंद्र सोलंकी के आते ही वीर रस की धारा फूटी
कवि सम्मेलन के अंतिम चरण में मंच का संचालन कर रहे ओज व वीर रस के अंतरराष्ट्रीय कवि गजेंद्र सोलंकी ने अपनी रचनाओं ठंड के मौसम में सीधी वासियों के खून में गर्मी ला दी। उन्होंने कहा कि यादें अर्जुन सिंह अपने आप में अनूठा कार्यक्रम है। ओज कवि गजेंद्र सोलंकी की इन पंक्तियों पर खूब दाद मिली ‘एक सभ्यता, एक संस्कृति अपना इतिहास बताता है, जाति पंथ सब भले अलग हो, खून तो पर हिंदुस्तानी है’। उनकी यह पंक्तियां भी बार-बार सुनी गई ‘भारत के परिंदों की जग में पहचान तो जिंदा है, रहे कहीं भी दिल में हिंदुस्तान तो जिंदा है’। शहीदे आजम भगत सिंह की देशभक्ति की भावना को शब्दों में पिरोया, घोड़ी पर चढ़ने की ललक रही नहीं, फांसी पर चढ़ कर बलिदान होना था… कविता सुनाकर देशभक्ति का ज्वार ला दिया। वीर रस से भरी कविता ‘ हिन्दू हो मुसलमान हो सिक्ख कि ईसाई, हर हिन्द के वासी को तिरंगे से प्यार’ सुनाकर लोगों में जोश भर दिया। गजेंद्र सोलंकी ने भी वीर रस की कविताओं से जोश भर दिया। उनकी बचा लो अपना हिन्दुस्तान कविता सभी को बेहद पंसद आई।