नई दिल्ली: योगी आदित्यनाथ को जब उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाए जाने का ऐलान किया गया था तब एक बड़े तबके ने इसे लेकर आशंका जाहिर की थी कि एक सीएम को तौर पर वह सफल हो पाएंगे या नहीं। लेकिन, समय के साथ योगी ने न केवल यूपी में खुद को साबित किया है बल्कि प्रदेश के बाहर भी उनकी लोकप्रियता में खूब इजाफा हुआ है। आगामी लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) को लेकर वह यूपी के बाहर कई रैलियों को संबोधित कर रहे हैं। महज एक सप्ताह में उन्होंने उत्तराखंड, महाराष्ट्र राजस्थान और जम्मू-कश्मीर का दौरा किया है। रविवार यानी आज वह उत्तराखंड में चुनाव प्रचार करेंगे और अगले सप्ताह बिहार जाएंगे।
भाजपा कुछ राज्यों में अपना रही ‘योगी मॉडल’
हर चुनावी बैठक में जनता के साथ उनका जुड़ाव अलग ही स्तर पर देखने को मिला है। वह जनता से जुड़े मुद्दे उठाते हैं और भाजपा की डबल इंजन सरकार की उपलब्धियां गिनाते हैं। योगी आदित्यनाथ की माफिया विरोधी छवि भी उन्हें लोकप्रियता के नए आयाम पर पहुंचा रही है। उनके काम और चुनाव प्रचार की शैली ने भाजपा को 2019 के लोकसभा चुनाव और 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में भी फायदा पहुंचाया था। ‘तीसरी बार मोदी सरकार’ के नारे के साथ भाजपा कुछ राज्यों में योगी मॉडल को अपना रही है। माना जा रहा है कि इससे केंद्र की राजनीति के लिए भी योगी आदित्यनाथ का नाम मजबूत हो रहा है। उनके नेतृत्व की शैली ने अपने कई प्रशंसक बना लिए हैं।
माफिया पर रोक लगाई, बड़े निवेश लेकर लाए
गोरखनाथ पीठ के महंत के तौर पर योगी ने अपनी छवि एक कट्टर हिंदुत्ववादी नेता की बनाई थी। आज भी वह अपनी इस छवि को गर्व के साथ दुनिया के सामने रखते हैं। उनकी सरकार को माफिया के खिलाफ सख्त एक्शन लेने के लिए जाना जाता है। साथ ही वह उत्तर प्रदेश में बड़ा निवेश भी लेकर आए हैं। यानी कि एक ओर उन्होंने प्रदेश में संगठित अपराध पर लगाम लगाई है तो दूसरी ओर राज्य के आर्थिक विकास का रास्ता भी प्रशस्त किया है। इन बातों को चुनाव प्रचार के दौरान वह जनता के सामने मजबूती से रखते हैं। अपनी सरकार के काम गिनाने के साथ-साथ वह कड़े और बेहद तीखे शब्दों में विपक्षी नेताओं की बखिया उधेड़ने में भी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ते।