लखनऊः उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। योगी आदित्यनाथ सरकार ने मामले को लेकर सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटाया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए योगी सरकार को आदेश दिया था कि वह बिना ओबीसी आरक्षण के ही निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी करे। योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि वह हाई कोर्ट के इस फैसले को रद्द करे। 2 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट खुलने के बाद इस मामले पर सुनवाई हो सकती है।
बता दें कि बीते मंगलवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण की सरकारी अधिसूचना को रद्द करते हुए योगी सरकार को आदेश दिया था कि वह बिना ओबीसी रिजर्वेशन लागू किए निकाय चुनाव के लिए नोटिफिकेशन जारी करे। इसके बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि सरकार बिना आरक्षण के निकाय चुनाव नहीं कराएगी। जरूरत पड़ेगी तो इसके लिए सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाएगी।
क्या है पूरा मामला
बीते 5 दिसंबर को योगी सरकार ने नगर निकाय चुनाव के लिए ओबीसी आरक्षण की अधिसूचना जारी की थी। इसके खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दाखिल की गई थी कि आरक्षण तय करने में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित ट्रिपल टेस्ट फार्मूले का पालन नहीं किया गया है। लंबी सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने सरकार की अधिसूचना रद्द करते हुए कहा कि बिना ट्रिपल टेस्ट फार्मूले के ओबीसी आरक्षण नहीं तय किया जा सकता। अब इस प्रक्रिया के पालन में काफी समय लगेगा, इसलिए सरकार बिना ओबीसी आरक्षण के ही निकाय चुनाव के लिए अधिसूचना जारी करे।
योगी सरकार के खिलाफ विपक्ष का मोर्चा
इसे लेकर यूपी की सियासत में भी बवाल मच गया। सपा, बसपा, कांग्रेस और सुभासपा ने बीजेपी सरकार पर आरोप लगाया कि उसने जानबूझकर ओबीसी आरक्षण के लिए नियमों का पालन नहीं किया। योगी सरकार को आरक्षण विरोधी बताते हुए अखिलेश यादन ने कहा कि बीजेपी ओबीसी लोगों का हक छीनना चाहती है और बाद में वह दलितों से भी आरक्षण छीन लेगी। यूपी से पहले मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार और झारखंड में भी हाई कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण में ट्रिपल टेस्ट के आधार पर आरक्षण तय न करने का हवाला देते हुए बिना आरक्षण चुनाव कराने का आदेश दिया था।
एमपी और महाराष्ट्र में भी बने थे ऐसे हालात
वहां भी मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और अंत में ट्रिपल टेस्ट फार्मूले का पालन करते हुए आरक्षण तय करने के बाद ही वहां चुनाव हुए। यूपी में भी योगी आदित्यनाथ सरकार ने बुधवार को ओबीसी आरक्षण तय करने के लिए 5 सदस्यीय पिछड़ा आयोग का गठन कर दिया है। इसके एक दिन बाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने के लिए सरकार सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गई है।