नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय टैक्स छूट वाली पुरानी व्यवस्था में बदलाव किए बिना नई व्यवस्था के तहत इनकम टैक्सपेयर्स के लिए स्टैंडर्ड कटौती सीमा बढ़ाने पर विचार कर रही है. एनडीए सरकार अपने तीसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश करने की तैयारी कर रही है. कैपिटल गेन टैक्स सिस्टम में बड़े बदलाव की संभावना नहीं है. हालांकि इस मुद्दे जिस पर आयकर विभाग समीक्षा की मांग कर रहा है. अलग-अलग ऐसेट क्लास में होल्डिंग अवधि को संरेखित करने के सुझाव दिए गए हैं, लेकिन सरकार कम से कम फिलहाल इस सिस्टम को बदलने के लिए इच्छुक नहीं हो सकती है.
बजट पर चर्चा शुरू
बता दें कि बजट की रूपरेखा पर चर्चा शुरू हो गई है, जो वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के नेतृत्व में हो रही है. वित्त मंत्रालय वर्तमान में विभिन्न मुद्दों का मूल्यांकन कर रहा है और पीएमओ से फीडबैक के आधार पर अंतिम निर्णय लेने से पहले अन्य सरकारी विभागों से इनपुट लिया जाएगा. अधिकांश सरकारी विभाग टैक्सपेयर्स विशेष रूप से मध्यम वर्ग के लिए टैक्स छूट के पक्ष में हैं. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो यह समूह मोदी शासन का समर्थक रहा है, लेकिन अब वे अपने द्वारा चुकाए गए टैक्स के बदले मिलने वाले लाभों, जैसे कि सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा के बारे में चिंता व्यक्त कर रहे हैं.
नौकरीपेशा लोगों के लिए फायदेमंद
2023 के बजट में वित्त मंत्री ने नई टैक्स व्यवस्था के तहत वेतनभोगी टैक्सपेयर्स और पेंशन पाने वाले व्यक्तियों के लिए 50,000 रुपए की स्टैंडर्ड कटौती की शुरुआत की. यह स्टैंडर्ड कटौती डिफ़ॉल्ट विकल्प बन गई है, जब तक कि टैक्सपेयर इसे छोड़ न दें. इसके अतिरिक्त नई टैक्स व्यवस्था के तहत 7 लाख रुपए से अधिक की टैक्स योग्य आय के लिए धारा 87ए के तहत छूट बढ़ा दी गई. इस बदलाव ने इस स्तर तक की कर योग्य आय वाले व्यक्तियों को नई व्यवस्था के तहत करों का भुगतान करने से छूट दी.
इसके अलावा नई व्यवस्था के तहत सबसे अधिक सरचार्ज को भी टैक्स के दायरे से हटा दिया गया है. 3 लाख रुपए से अधिक की टैक्स योग्य इनकम वाले व्यक्तियों को वर्तमान में 5% इनकम टैक्स देना पड़ता है. उद्योग जगत के नेताओं ने खर्च को प्रोत्साहित करने के लिए उच्च आय वर्ग के लिए टैक्स के दरों को समायोजित करने का प्रस्ताव दिया है. मानक कटौती बढ़ाने से उच्च आय वाले लोगों सहित सभी वेतनभोगी टैक्सपेयर्स को लाभ होगा, भले ही इससे कुछ राजस्व का नुकसान हो.