नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे आने में अब कुछ घंटे ही बचे हैं. करीब-करीब सभी एग्जिट पोल ने तीसरी बार मोदी सरकार की वापसी का अनुमान जता दिया है, जिसके बाद कांग्रेस समेत इंडिया गठबंधन की पार्टियां बिफर गई हैं.
राहुल गांधी ने तो एग्जिट पोल को मोदी मीडिया पोल तक कह डाला. उन्होंने कहा कि यह पीएम मोदी का माइंड गेम है. इंडिया गठबंधन को 295 से ज्यादा सीटें मिलेंगी. वहीं अखिलेश यादव ने कहा कि एग्जिट पोल के आंकड़े ईवीएम से नहीं बल्कि डीएम से लिए गए हैं. उन्होंने कार्यकर्ताओं से ईवीएम पर कड़ी निगरानी रखने के लिए कहा है. यानी कहीं ना कहीं अभी भी विपक्ष के दिमाग में ईवीएम से छेड़छाड़ वाला ‘भूत’ बैठा हुआ है.
लेकिन अब विपक्ष भले ही कुछ भी कहें सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला उसके हर आरोपों के आड़े आ जाएगा. दरअसल जब दूसरे चरण की वोटिंग चल रही थी, तब अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट ने VVPAT वेरिफिकेशन की मांग को लेकर सभी याचिकाओं को रद्द कर दिया था. इतना ही नहीं, चुनाव बैलेट पेपर से कराने की मांग भी सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दी थी.
क्या थी मांग?
सुप्रीम कोर्ट में ADR की ओर से याचिका डाली गई और कहा गया कि वीपीपीएटी की पर्चियों का शत-प्रतिशत मिलान किया जाए. लेकिन सुप्रीम कोर्ट इस पर राजी नहीं हुआ. कोर्ट ने फैसले में कहा था कि वोटिंग ईवीएम से होगी और VVPAT की पर्ची 45 दिन तक सेफ रहेगी. प्रत्याशियों के दस्तखत के साथ इन पर्चियों को सेफ रखा जाएगा.
कोर्ट ने यह भी कहा था कि सील करने के बाद सिंबल लोडिंग यूनिट्स को सुरक्षित किया जाए. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने प्रत्याशियों को यह विकल्प दिया है कि नतीजों के ऐलान के बाद वह ईवीएम के माइक्रो कंट्रोलर प्रोग्राम की जांच करा सकते हैं.
जस्टिस संजीव खन्ना की अगुआई वाली बेंच ने कहा था कि अगर प्रत्याशी वेरिफिकेशन कराना चाहते हैं तो इसका खर्चा वह खुद उठाएंगे. अगर ईवीएम में छेड़छाड़ की गई होगी, तो खर्च लौटा दिया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट ने जब यह फैसला दिया तो चुनाव आयोग ने कहा कि अब किसी को कोई संदेह नहीं रहने चाहिए. पुराने सवालों का कोई मतलब नहीं रह जाता है. ऐसे सवालों से मतदाताओं के मन में शक होता है.
क्यों फैसला है सुप्रीम कोर्ट के लिए झटका?
दरअसल, पिछले कई चुनावों में जब नतीजे विपक्षी पार्टियों के खिलाफ आए तो उन्होंने सीधे-सीधे ईवीएम की विश्वसनीयता का सवाल उठा दिए. विपक्षी दलों ने कितनी ही बार बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग की. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह साफ हो चुका है कि देश में चुनाव ईवीएम से ही होगा. ऐसे में देखना ये होगा कि 4 जून को जब नतीजे आएंगे तो ईवीएम की विश्वसनीयता पर फिर से सवाल खड़े होंगे या फिर इस बार ईवीएम काजल की कोठरी से पाक साफ निकलेगी.