नई दिल्ली: बर्मिंघम में कॉमनवेल्थ गेम्स होने जा रहे हैं। गुरुवार से बर्मिंघम कॉमनवेल्थ की शुरूआत हो रही है और ये आठ अगस्त तक चलेंगे। भारत को उम्मीद है कि इस बार हमारा प्रदर्शन बेहतर रहेगा। भारतीय रेसलर दीपक पूनिया पर हम सबकी निगाहें होंगी। ओलंपिक में पूनिया से पूरे देश के लोगों की पदक की उम्मीदें थीं। तोक्यो ओलंपिक में पूनिया ने सैन मारिनो के पहलवान माइलेस नाजिम अमीन के खिलाफ शुरुआत में बढ़त भी ले ली थी, लेकिन आखिरी के 10 सेकंड में अमीन ने बाजी पलटते हुए भारतीय पदक की उम्मीदों पर पानी फेर दिया था। अब पूनिया नए जोश के साथ कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत के लिए पदक जीतने को तैयार हैं।
पीएम मोदी ने बढ़ाया था हौसला
तोक्यो ओलंपिक में पूनिया कांस्य पदक से चूकने के बाद एकदम टूट से गए थे। उन्होंने बेहतरीन शुरूआत करते हुए मैच को 2-1 से आगे रखा था, मगर आखिरी 10 सेकंड उनपर भारी पड़ गए और ओलंपिक में पदक का सपना उनका अधूरा रह गया था। पीएम मोदी ने उनको बधाई देते हुए कहा था भले ही आप ब्रॉन्ज मेडल न जीत पाए हों मगर आपने हमारा दिल जीत लिया है। आप टैलेंज का पावरहाउस हैं। आपके आपके भविष्य के लिए बहुत शुभकामनाएं।
वंडर वुमेन फेस्ट में बीबा, वेरो मोडा और अधिक जैसे शीर्ष ब्रांडों को 70% तक की छूट पर एक्सप्लोर करें, अब 30 जुलाई तक लाइव, सर्वोत्तम ऑफ़र प्राप्त करने के लिए अभी खरीदारी करें।
भारत भेज रहा है 300 सदस्यीय दल
आयोजन में भारत बर्मिंघम में 300 से अधिक सदस्यीय दल भेज रहा है। राष्ट्रमंडल खेल 2022 के 22वें संस्करण में 19 खेलों में कई हाई-प्रोफाइल एथलीट दिखाई देंगे। पीवी सिंधु, लक्ष्य सेन और स्प्रिंटर हिमा दास जैसे भारतीय एथलीटों पर विशेष निगाहें होंगी। भारतीय रेसलर पूनिया भी इस बार पदक पर ताल ठोंकेंगे। अभी हाल ही में एशियन चैंपियनशिप में पहलवान दीपक पूनिया गोल्ड से चूक गए थे। भारतीय पहलवान दीपक पूनिया ने मंगोलिया के उलानबटार मे एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप के अंतिम दिन 86 किग्रा पुरुष फ्रीस्टाइल में सिल्वर मेडल जीत था। फाइनल मुकाबले में दीपक पूनिया को कजाकिस्तान के आजमत दौलेटबेकोव से 1-6 से हार का सामना करना पड़ा था।
हरियाणा के झज्झर के हैं पूनिया
दीपक पुनिया का जन्म हरियाणा के झज्जर क्षेत्र में हुआ था। झज्जर गांव में कुश्ती हमेशा लोगों के लिए एक विकल्प है। दीपक के पिता सुभाष पुनिया एक डेयरी किसान हैं जो युवा दीपक को दंगल पर ले जाते थे। दीपक ने अपने कुश्ती करियर की शुरुआत पांच साल की उम्र में अपने गृहनगर अर्जुन अवार्डी वीरेंद्र सिंह छारा के नेतृत्व वाले एक अखाड़े में की थी।. साल 2015 में छत्रसाल स्टेडियम के जाने-माने पहलवान के नेतृत्व में ट्रेनिंग शुरू करने के बाद उन्होंने सबसे पहले वर्ल्ड कैडेट चैंपियनशिप का हिस्सा बनकर अपना हुनर दिखाया हालांकि सफलता नहीं मिली लेकिन फिर भी हार नहीं मानी।
करिश्माई पहलवान हैं पूनिया
एशियाई जूनियर चैंपियनशिप साल 2018 के दौरान दीपक पुनिया ने अपने हुनर का प्रदर्शन भारत देश की तरफ से किया और भारत देश के सम्मान में गोल्ड मेडल अपने नाम किया। इसी वर्ष विश्व जूनियर चैंपियनशिप के हिस्सा बनकर उन्होंने रजत पदक को अपने नाम किया था। साल 2019 में भी एशियाई चैंपियनशिप के दौरान अपने बेहतरीन प्रदर्शन के चलते उन्हें कांस्य पदक से नवाजा गया था। उनकी प्रतिभा को देखते हुए उसी साल कजाकिस्तान के नूरसुल्तान ने उन्हें विश्व चैंपियनशिप 2019 में हिस्सा बनने के लिए न्यौता दिया परंतु उनकी बदकिस्मती थी कि वह अपने टखने में लगी चोट की वजह से वहां नहीं जा पाए। साल 2018 में वो भारतीय सेना में नायब सूबेदार के पद पर तैनात हुए हैं। दीपक ने एसयूवी कार भी खरीदी है। दीपक कहते हैं कि मुझे यह नहीं पता कि मैंने कितनी कमाई की है क्योंकि मैंने कभी उसकी गिनती नहीं की लेकिन यह ठीक-ठाक रकम है।