गढ़वाल में 14, कुमाऊं में 35 व वन्यजीव क्षेत्र में आग की तीन घटनाएं हुई दर्ज
विभाग ने अब तक पांच लोगों के खिलाफ कराया मुकदमा
देहरादून। उत्तराखण्ड के जंगलों में लगी आग ने विकराल रूप धारण कर लिया है, प्रदेश के करीब 60 से अधिक स्थानों पर वनाग्नि की घटनाओं की सूचना प्राप्त हुई हैं, कई स्थानों पर वनाग्नि की घटनाओं में लिप्त पाए जाने वाले व्यक्तियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करते हुए वन विभाग की और से नामजद मुकदमा दर्ज कराया गया है|
वही, वनाग्नि की घटनाओं में लिप्त पाए जाने वाले व्यक्तियों के विरुद्ध सख्त से सख्त कार्रवाई करने को मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि आरोपियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया जाए। पुलिस, प्रशासन, वन विभाग, डीएफओ वनाग्नि रोकने में संयुक्त रणनीति के साथ कार्य करें। इसके अलावा प्रदेश में जंगलों में लगी आग को लेकर सियासत भी शुरू हो गई है, कांग्रेस ने सीएम धामी को पत्र लिख कार्रवाई करने की मांग की है।
उत्तराखंड में मैदान से पहाड़ तक जंगल धधक रहे हैं। बीते दिवस ही वनाग्नि की रिकॉर्ड 52 घटनाएं दर्ज की गई। अपर प्रमुख वन संरक्षक वनाग्नि निशांत वर्मा के मुताबिक जहां कहीं से भी जंगल में आग की सूचना मिल रही है, विभाग की टीम मौके पर जाकर बुझाने का प्रयास कर रही है। विभाग ने अब तक पांच लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा किया है। वहीं, कुछ अज्ञात के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज कराया गया है।
प्रदेश में आग की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, जिसको लेकर पर्यावरणविदों ने भी चिंता जताई है। गढ़वाल में नई टिहरी वन प्रभाग के आरक्षित वन क्षेत्र से लेकर केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग के जंगलों में आग भड़की हुई है, जबकि कुमाऊं में बागेश्वर वन प्रभाग, पिथौरागढ़ वन प्रभाग, चंपावत वन प्रभाग के जंगल आग से धधक रहे हैं। चंपावत वन प्रभाग के आरक्षित वन क्षेत्र में आग की एक दिन में 11
घटनाएं दर्ज की गई हैं
पिथौरागढ़ वन प्रभाग में 5 घटनाएं हुई हैं। केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग में एक, राजाजी टाइगर रिजर्व में एक, लैंसडाउन वन प्रभाग में एक, उत्तरकाशी वन प्रभाग में दो, नरेंद्रनगर वन प्रभाग में चार, तराई पूर्वी वन प्रभाग में एक वनाग्नि की घटना का मामला सामने आया है। अपर प्रमुख वन संरक्षक की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक गढ़वाल मंडल के जंगलों में आग की 14, कुमाऊं मंडल में 35 और वन्यजीव क्षेत्र में आग की तीन घटनाएं हुई हैं। इससे एक दिन में 76 हेक्टेयर से अधिक वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है।