चंपारण: बिहार में पुलो के ढ़हने का सिलसिला रूकने का नाम नहीं ले रहा है। अररिया व सीवान के बाद शनिवार रात पूर्वी चंपारण जिले के घोड़ासहन प्रखंड के अमवा में बन रहा आरसीसी पुल निर्माण के साथ ही भड़भड़ा कर गिर गया। पुल का निर्माण ग्रामीण कार्य विभाग ढ़ाका प्रमंडल की देख रेख में किया जा रहा था।
पुल की कुल लंबाई 17.95 मीटर है। इसके बनने में खर्च होने वाली अनुमानित लागत को 15921602 रुपये बताया जा रहा है। इस पुल को ग्रामीण कार्य विभाग की देखरेख में बनाया जा रहा है। पुल निर्माण की जिम्मेदारी धीरेंद्र कंस्ट्रक्शन को मिली थी। वही इसके निर्माण में लगा हुआ था।
गांव के लोग पुल के बनने में इस्तेमाल होने वाली सामग्री की गुणवत्ता पर सवाल उठा रहे हैं। उनका आरोप है कि पुल बनने में जिस स्तर का माल प्रयोग होना चाहिए था, वैसा नहीं किया गया है। ग्रामीणों का आरोप है कि सस्ते और घटिया क्वालिटी के माल का इस्तमाल करने के कारण ही ऐसा हुआ है। इसके पीछे एक की वजह है भ्रष्टाचार।
ग्रामीण गोविंद गुप्ता, सरोज दास, अभय सिंह, बंटी तिवारी, तूफान सिंह, बबलू कुमार, प्रदीप सिंह आदि ने बताया कि पुल निर्माण में घटिया बालू,सीमेंट एवं मानक के अनुरूप कंक्रीट का प्रयोग नहीं किया जा रहा था। ग्रामीणों ने बताया कि ढ़लाई के लिए लगाया गया सेन्ट्रिग भी कमजोर था। सेन्ट्रिग में मानक के अनुरूप पाइप का उपयोग नहीं किया गया था।
ग्रामीण कार्य विभाग के एक्सक्यूटिव इंजीनियर एस एन मंडल इससे अलग राय रखते हैं। वो कहते हैं कि पुल गिरने की वजह शरारती तत्वों की गतिविधियां है। उन्होंने कहा कि ढ़लाई के बाद पुल के साथ छेड़छाड़ की गई है। उसके बेस के साथ किसी ने छेडछाड़ करके गिराने की कोशिश की है। उन्होंने फोन से बातचीत पर बताया कि शाम को पुल का निर्माण कार्य पूरा हो चुका था। रात्री मे किसी ने सेंन्ट्रिग के साथ छेडछाड की जिससे पुल ध्वस्त हो गया।
आपको बता दें बिहार में इससे पहले भी कई पुल गिर चुके हैं। इस कारण बिहार की छवि को काफी नुकसान पहुंचा है। इससे वहां के प्रशासन और निर्माण कार्यों में शामिल लोगों के प्रति प्रश्न चिन्ह खड़ा होता है कि आखिर क्यों इस तरह से आए दिन पुल गिर जाते हैं।