नई दिल्ली: बुंदेलखंड में किसानों और कृषि विशेषज्ञों के बीच खेतों में नमक के प्रयोग को लेकर गंभीर चिंता दिख रही है। जहां कुछ ठेकेदार खेतों को ठेके पर लेकर अधिक उपज के लिए नमक का प्रयोग कर रहे हैं। वहीं असली किसान इसे ‘धरती की कोख मारने’ जैसा अपराध मानते हैं। वहीं मिट्टी परीक्षण विभाग का कहना है कि यही हाल रहा तो धीरे-धीरे खेत बंजर हो जाएंगे।
कई किसान और कृषि विशेषज्ञ इस बात पर जोर देते हैं कि नमक का खेतों में प्रयोग, खासकर धान की फसल के लिए, मिट्टी की उर्वरा शक्ति को नष्ट कर सकता है। बांदा के कृषि वैज्ञानिक राधेश्याम का कहना है कि नमक का अधिक उपयोग मिट्टी के लवणीकरण को बढ़ा देता है, जिससे फसल की पैदावार तो बढ़ सकती है। हालांकि कुछ वर्षों बाद वही खेत बंजर हो जाते हैं। इसके कारण मिट्टी में मौजूद पोषण तत्व, जैसे नाइट्रोजन और फास्फोरस, तेजी से खत्म हो जाते हैं, जिससे जमीन की उर्वरा शक्ति खत्म हो जाती है।
किसानों का विरोध
बांदा के मोहन पुरवा के किसान चरन यादव कहते हैं कि कोई भी असली किसान अपनी फसल में नमक का प्रयोग नहीं करेगा। यह वही लोग कर रहे हैं, जो ठेके पर जमीन लेते हैं और जल्दी लाभ कमाने के लिए खेतों को बर्बाद कर देते हैं। खेतों में नमक डालना धरती की कोख को उजाड़ने के समान है। इसी तरह, अतर्रा के किसान सगीर भी इसे ‘महापाप’ कहते हैं। उनका कहना है कि खेतों में नमक का प्रयोग उस नवजात को नष्ट करने जैसा है, जो अभी गर्भ में पल रहा हो।
कृषि विशेषज्ञों की राय
जिला कृषि अधिकारी मनोज गौतम का कहना है कि किसानों को केवल नमक ही नहीं, बल्कि रासायनिक खादों के प्रयोग से भी बचना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि सबसे बेहतर उपाय गाय के गोबर से बनी देशी खाद का उपयोग है, जिससे खेत की उर्वरा शक्ति हमेशा बनी रहती है और उत्पादन भी निरंतर बढ़ता है।
नमक का प्रयोग और उसके परिणाम
कृषि वैज्ञानिक प्रमोद बताते हैं कि धान की फसल में लगने वाले रोगों से बचाव के लिए किसान जानकारी के अभाव में नमक का छिड़काव कर रहे हैं। हालांकि, यह रोगों से बचाव तो करता है, लेकिन लंबे समय में यह खेत को बंजर बना देता है। मिट्टी परीक्षण विभाग का भी कहना है कि खेतों में मिट्टी को उपजाऊ बनाने वाले पोषण तत्व नाइट्रोजन और फास्फोरस बहुत नीचे चले गए हैं, यही हाल रहा तो धीरे-धीरे खेत बंजर हो जाएंगे।