नई दिल्ली: झारखंड सरकार की ओर से कोयले पर सेस 100 रुपए प्रतिटन से बढ़ा कर 250 रुपए प्रतिटन करने फैसला किया है। अब कोयले की कीमत सेस के अनुरूप बढ़ेगी। हालांकि कोल इंडिया के वरिष्ठ आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि फिलहाल झारखंड सरकार की ओर से सेस बढ़ाने संबंधी कोई आधिकारिक जानकारी कोयला कंपनियों को नहीं है। वैसे स्वाभाविक है कि प्रतिटन कोयले पर सेस का जो प्रभाव पड़ेगा, उसी हिसाब से कोयले की कीमत बढ़ेगी।
मालूम हो कि वित्त वर्ष 2025-26 में खनिजों से सेस के माध्यम से अतिरिक्त राजस्व जुटाने के लिए झारखंड कैबिनेट ने खनिज धारित भूमि पर सेस की दरों में बदलाव के लिए अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव पर मंजूरी दी है। अभी लौह अयस्क और कोयले पर 100 रुपए प्रतिटन सेस लगता है। कैबिनेट की मंजूरी के अनुसार कोयले पर सेस को प्रतिटन 250 रुपए करना है। प्रस्ताव के अनुसार अप्रैल 2025 से संशोधित दर से खनिज धारित सेस की वसूली होगी। कोयला सहित अन्य खनिजों से सेस के रूप में झारखंड को मोटी रकम मिलेगी।
बात सिर्फ कोयले की करें तो झारखंड में औसतन सालाना 140 मिलियन टन से ज्यादा कोयले का उत्पादन होता है। झारखंड देश का इकलौता कोकिंग कोल उत्पादक राज्य है। झारखंड में बीसीसीएल-सीसीएल के साथ ईसीएल की भी खदानें हैं। इसके अलावा कैप्टिव और कॉमर्शियल कोयले की भी खदानें हैं। चालू वित्तीय वर्ष के फरवरी तक सीसीएल का 75.85 और बीसीसीएल में 36.17 मिलियन टन कोयला उत्पादन हो चुका है।
राज्य में ईसीएल की कोयला खदानों से भी 20 मिलियन टन कोयला उत्पादन संभव है। यानी सेस के माध्यम से कोयला कंपनियों को राज्य सरकार को बड़ी रकम देनी होगी। मालूम हो कि झारखंड सरकार खनिज भूमि धारित सेस से 15 हजार करोड़ राजस्व लक्ष्य को ध्यान में रखकर प्रस्ताव को मंजूरी दी है। मालूम हो कि सेस के अलावा कोयले से रॉयल्टी एवं डीएमएफटी के रूप में भी कोयले से झारखंड को अच्छी कमाई होती है।