-प्रेमचंद की कहानी 'सवा सेर गेहूं का मंचन, रो उठे दर्शक- जहां कोरोना के चलते नाट्य प्रस्तुतियां स्वप्न हो गई...
-मौन- मौन मुखर प्रश्न मेरे उत्तर विमुख हुए जाते हैं स्याह सी रात के साए आ उन्हें सुलाते हैं नदिया...
बेटी कोख कहती मेरी मैंने तो संतान जने हैं बेटा बेटी कहकर तुमने ये कैसे ताने बुने हैं सींचा है...
--सभी समस्या का हल स्वयं में है-- इस संसार में प्रत्येक मनुष्य के पास जब विकट समस्या आती है ,तब...
वश में जो होता यह मन। उड़ आता बन कर खंजन। वाणी में शहद घोलता तोल मोल शब्द बोलता कभी...
लोकेन्द्र सिंह (लेखक माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापक हैं) वैश्वीकरण के इस दौर में हिन्दी...
"तनाव" जी हाँ ये शब्द आज हर किसी के साथ यूँ जुड़ चुका मानों शरीर का...
"हिमालय दिवस " "हिमालय" इस शब्द में ही कितना सुकूँ और खूबसूरती छुपी है,,इसी एक शब्द के इर्द गिर्द हमेशा...
श्री कृष्ण यादव, प्रतापगढ़ परास्नातक छात्र, हिंदी विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय कविता, कहानी और वर्तमान विषय पर विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेखन...
मां कभी रोती नहीं थी, कभी झगड़ती नहीं थी, कभी ज़िद नहीं करती थी, कभी अड़ती नहीं थी, मां तो...
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© 2021 नेशनल फ्रंटियर - राष्ट्रहित की प्रमुख आवाज NationaFrontier.
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