"अहं ब्रह्मास्मि" मैं लिखना चाहता हूँ शाम के समय भटक चुके पंछी की यात्रा अनवरत वापस नीड़ तक पहुंचने तक,...
"भोग और स्वतन्त्रता" मेरी कल्पना में विचरती है एक पूर्ण निर्वस्त्र स्त्री अपनी पूरी ठसक के साथ अपने रास्ते नापती...
क्षुधा, भोजन, संतुष्टि...... चक्की के दो पाट हम दोनों पीसने में जीवन के अनंत दिवस बिरवे घिसती हूँ प्रतिक्षण मैं...
काई लगे हरे आँगन में चुपके से उतरती वैशाख की गर्म सी धूप ओसार की उंगलियाँ थाम...., छिड़क चुकी है...
-देश में प्रकृति और विकास के बीच संतुलन बनाते हुए ही आर्थिक प्रगति हो- कोरोना वायरस महामारी के चलते लगभग...
-पर-पीड़ा- मिसेज सिंह सुबह-सुबह अपनी बालकनी में बैठी चाय की चुस्कीयाँ व अखबार में आज की ताजा-ताजा खबरों का मजा...
आधा सत्य- आधा जीवन !! मानव जीवन की अधिकतर समस्याओं का मूल है- 'आधा जानना' किंतु 'पूरा मानना ' .....
कठपुतली ----------------- कठपुतली हूं मैं, मृदंग के बोल पर नाचती कठपुतली .. मेरे हर अंग में प्रेम का आवेग पर्वतीय...
शब्द-द्वंद --------------------- शब्द..!! जब फांस की तरह चुभते हैं तो किसी सुनामी से कम तबाही नहीं मचाते सुनामी की लहरें...
उसका आना अब अच्छा नहीं लगता ----------------- उसका आना अब अच्छा नहीं लगता है अचंभा लगता है किसी बहेलिए की...
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© 2021 नेशनल फ्रंटियर - राष्ट्रहित की प्रमुख आवाज NationaFrontier.
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